Minister Ashwini Vaishnav Warned Rail Companies: केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सख्त अंदाज में नजर आए हैं. उन्होंने रेल कंपनियों को कड़ी चेतावनी दी है. CII के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ऐसे किसी भी मैन्युफैक्चरर और सप्लायर को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जो रेलवे को बेकार माल सप्लाई करते हैं. उन्होंने आगे कहा कि गुणवत्ता में सुधार कीजिए वरना ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा.
अश्विनी वैष्ण का बड़ा ऐलान
CII के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मैन्युफैक्चरिंग प्रॉसेस के ऑडिट का आदेश दिया. साथ ही 2400 KW की हाइड्रोजन बेस्ड ट्रेन के लॉन्च का ऐलान किया. इसके साथ ही उन्होंने ग्रीन एनर्जी में एक बड़ी छलांग का ऐलान किया, जो पूरी तरह से भारत में डेवलप हुई हैं.
उन्होंने ट्रैक और उपकरण आपूर्तिकर्ताओं पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा- ‘मुझे पता है कि कई कलपुर्जा निर्माता इसे पसंद नहीं करेंगे, लेकिन यह हमारे यात्रियों की सुरक्षा के लिए बहुत-बहुत महत्वपूर्ण है.’ आगे मंत्री वैष्णव ने कड़े शब्दों में निर्देश को पढ़ते हुए कहा कि प्रोडक्ट्स के सिलेक्शन से लेकर सप्लाई तक गुणवत्ता नियंत्रण में पूरी तरह से बदलाव जरूरी है.
‘जो सुधार नहीं करेंगे, वे हार जाएंगे…’
इस दौरान केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा- ‘जो सुधार नहीं करेंगे, वे हार जाएंगे. मैं आप सभी से प्रक्रियाओं में सुधार करने के लिए आह्वान करता हूं. मैंने रेलवे बोर्ड को ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति करने का निर्देश दिया है, जो गुणवत्ता की जांच करने में परफेक्ट हों. उन्हें घटिया उपकरण बनाने और रेलवे को आपूर्ति करने वाले लोगों को प्रतिबंधित, सूची से हटाना और कभी-कभी ब्लैकलिस्ट भी करना चाहिए. निर्दयी बनें.’
‘कोई रहम नहीं किया जाएगा’
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने आगे कहा- ‘घटिया सामग्री सप्लाई करने वालों पर कोई रहम नहीं किया जाएगा. चाहे सिग्नलिंग हो, अर्थिंग हो, ट्रैक उपकरण हों, या लोकोमोटिव के पुर्जे हों. सभी प्रोडक्ट्स में 10 गुना सुधार चाहिए.’ इसके अलावा उन्होंने RDSO की भूमिका पर भी जोर दिया, जो पिछले 3 सालों से स्पेसिफिकेशन अपग्रेडशन पर काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि यह काम बहुत तेजी से आगे बढ़ना चाहिए. लोग 1950 या 60 के दशक की सेवाओं से खुश नहीं होंगे. 2025 की दुनिया विश्वस्तरीय रेल यात्रा की हकदार है और इसकी मांग भी करती है.
