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ऑपरेशन सिंदूर में दुनिया ने देखी ‘Brahmos’ की ताकत, वियतनाम से सऊदी अरब तक खरीदने की लगी होड़

BrahMos missiles

ब्रह्मोस मिसाइल

Brahmos: भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला लेने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया. भारत ने इस ऑपरेशन में अपने ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल किया था. ब्रह्मोस ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी. भारतीय सेना ने पहली बार इस मिसाइल का इस्तेमाल युद्ध में किया. हालांकि भारत ने आधिकारिक तौर पर इसके इस्तेमाल की पुष्टि नहीं की गई है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी पिछले दिनों लखनऊ में नई ब्रह्मोस मिसाइल सुविधा के उद्घाटन में भाग लेते हुए बयान दिया था. जिसमें कहा था कि भारत के ब्रह्मोस का दम दुनिया ने देखा है. अगर इसके बार एम्ने जानना है तो पाकिस्तानसे पूछ लो.

ब्रह्मोस के पराक्रम को देखने के बाद दुनियाभर में ब्रह्मोस की खरीदारी के लिए होड़ लग गई है. दुनिया के कई देश ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए लाइन में खड़े हो गए हैं. तो चलिए जानते हैं कौन कौन से देश इस लाइन में हैं…

फिलीपींस

भारत ने पहले फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. यह एक ऐतिहासिक सौदा था, जिसे भारत का पहला बड़ा रक्षा निर्यात माना गया. भारत और फिलीपींस ने जनवरी 2022 में अनुमानित 375 मिलियन डॉलर के इस सौदे पर हस्ताक्षर किए थे. इस सौदे के तहत, भारत को फिलीपींस को तीन कोस्टल डिफेंस बैटरियां भेजनी थी. पहली बैटरी अप्रैल 2024 में डिलीवर की गई.

भारत ने अप्रैल 2025 में फिलीपींस को ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों की दूसरी बैटरी भेजी थी. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘इस बार मिसाइल की दूसरी बैटरी जहाज में भेजी गई है.’

इंडोनेशिया

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत इस साल की शुरुआत में इंडोनेशिया को ब्रह्मोस मिसाइल बेचने पर भी विचार कर रहा है. लगभग 450 मिलियन डॉलर के इस सौदे पर पिछले एक दशक से बातचीत चल रही है. इस मामले से जुड़े लोगों ने एक अखबार को बताया कि देश मिसाइल के लिए वित्तपोषण पर काम कर रहा है.

वियतनाम, मलेशिया और अन्य

फिलीपींस और इंडोनेशिया के साथ साथ वियतनाम भी अपनी सेना और नौसेना के लिए ब्रह्मोस मिसाइलें चाहता है. भारत के साथ यह सौदा 700 मिलियन डॉलर का होगा। मलेशिया अपने सुखोई Su-30MKM लड़ाकू विमानों और केदाह श्रेणी के युद्धपोतों के लिए ब्रह्मोस मिसाइलों पर नजर बनाए हुए है. इसके साथ ही थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रुनेई, ब्राज़ील, चिली, अर्जेंटीना, वेनेजुएला, मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), कतर, ओमान ने भी ब्रह्मोस मिसाइल में अपनी-अपनी रूचि दिखाई है.

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जानें कितना शक्तिशाली है ‘ब्रह्मोस’

ब्रह्मोस भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और रूस के NPO मशीनोस्ट्रोयेनिया के बीच एक साझेदारी के तहत डेवलप किया गया है. इस मिसाइल का निर्माण ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा किया गया है. ब्रह्मोस मिसाइलों को पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों और जमीन से भी लॉन्च किया जा सकता है. इसके अलावा ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज लगभग 300 किलोमीटर है. वहीं यह 200 से 300 किलो वजन का वारहेड भी ले जा सकता है. यह 2.8 मैक की तीव्र गति से उड़ान भरता है. ब्रह्मोस मिसाइल अपनी सटीकता के लिए भी जाना जाता है. जो ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना है. मिसाइल के लगभग 83 प्रतिशत घटक अब स्वदेशी हैं – जो भारत से प्राप्त होते हैं. यह ‘दागो और भूल जाओ’ सिद्धांत पर काम करता है.

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