Gajanan Maharaj: आज रविवार, 3 मार्च को गजानन महाराज प्राकट्य दिवस मनाया जा रहा है. महाराष्ट्र के शेगांव को उनका प्राकट्य स्थान माना जाता है. जनश्रुति है कि वह अन्न पूर्ण ब्रह्म का परिचय देते हुए इसी दिन गांव में प्रकट हुए. इस वर्ष संत गजानन महाराज का 146वां प्राकट्य दिवस है. इस अवसर पर शेगांव शहर में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है. वहीं समाधि मंदिर परिसर को रंग-बिरंगी लाइटों और फूलों से सजाया गया है. पूरा शहर ताल मृदुंगा के घोष से गूंज रहा है. बता दें कि शेगांव में राज्यभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटे हैं.
भगवान दत्तात्रेय के अंतिम अवतार
गजानन महाराज शेगांव महाराष्ट्र के साथ-साथ भारत सुप्रसिद्द संतों में से एक संत है. गजानन महाराज का शुरूआती जीवन इतिहास सही से किसी को मालूम नहीं है. कहा जाता है कि गजानन महाराज भगवान दत्तात्रेय के तीसरे और अंतिम अवतार थे और अक्कलकोट के सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ गजानन महाराज के गुरु थे. जब भक्त उन्हें धन, दौलत, कपड़ा, खाना और अन्य चीजें दिया करते थे तो वह इनमें से किसी भी चीज को हाथ भी नहीं लगाते थे. उन्हें जहां जैसा मिल जाता वैसा खा लेते और जहां मन करता सो जाते थे.
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शेगांव में साल भर मेले जैसा माहौल
कहा जाता है कि गजानन महाराज पशु पक्षियों की बोली समझते थे और उनसे रोज बातें भी किया करते थे. उनको योगासन का आचार्य माना जाता था. वह समय-समय पर भक्तों को रास्ता दिखाते रहे और भक्तों को विट्ठल दर्शन देते रहे. बता दें कि आज दुनियाभर में महाराज के करोड़ों अनुयायी हैं. उनके दर्शन करने के लिए पूरे महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों और विदेशों से भी उनके भक्त शेगांव आते हैं. यही कारण है की शेगांव में साल भर मेले जैसा माहौल रहता है. विट्ठल के आदेश पर उन्होंने शेगांव में ही समाधि लेने का फैसला किया. 8 सितंबर 1910 को ऋषि पंचमी के दिन उन्होंने शेगांव में संजीवन समाधि ले ली.