Patanjali Case: बाबा रामदेव के दर्जन भर से ज्यादा प्रोडक्ट्स पर प्रतिबंध लग गया है. यह प्रतिबंध पतंजलि की दिव्य फार्मेसी से जुड़े भ्रामक विज्ञापन के सिलसिले में लगा है. यह जानकारी उत्तराखंड के लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक एफिडेविट में दी है. अथॉरिटी के मुताबिक पतंजलि के 14 प्रोडक्ट्स का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है.
वहीं अब सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण को फटकार भी लगाया है और साथ ही साथ एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “अगर वे सहानुभूति और करुणा चाहते हैं तो अदालत के प्रति ईमानदार रहें.” इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “अब आप निंद से जगे हैं.”
10 अप्रैल के आदेश के बाद ही कानून के अनुसार कार्रवाई की है: पीठ
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, संस्था द्वारा पेश किए गए स्पष्टीकरण पर असंतोष व्यक्त करते हुए न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि लाइसेंसिंग प्राधिकारी ने शीर्ष अदालत के 10 अप्रैल के आदेश के बाद ही कानून के अनुसार कार्रवाई की है. पीठ ने कहा, “अगर आप सहानुभूति और करुणा चाहते हैं तो अदालत के प्रति ईमानदार रहें.”
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पतंजलि के ये प्रोडक्ट बैन
सोमवार को एसएलए ने अपने हलफनामे में कहा था कि उसने दिव्य फार्मेसी और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को 15 अप्रैल, 2024 को आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि उनके 14 प्रोडक्ट, अर्थात् ‘स्वसारी गोल्ड’, ‘स्वसारि वटी’, ‘ब्रोंकोम’, ‘स्वसारि प्रवाही’, ‘स्वसारि अवलेह’, ‘मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर’, ‘लिपिडोम’, ‘बीपी ग्रिट’, ‘मधुग्रिट’, ‘मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर’, ‘लिवमृत एडवांस’ , ‘लिवोग्रिट’, ‘आईग्रिट गोल्ड’ और ‘पतंजलि दृष्टि आई ड्रॉप’ को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है.”
बता दें कि इससे पहले 27 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए पतंजलि को कड़ी फटकार लगाई थी और गले आदेश पारित होने तक उसे अपने उत्पादों के विपणन पर प्रतिबंध लगा दिया था. रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने भी 16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से माफी मांगी थी.