Shri Krishna Janmabhoomi: श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मामले में मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है. दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले को सुनवाई योग्य माना है. मुस्लिम पक्ष की ओर से ऑर्डर 7 रूल 11 की आपत्ति वाली अर्जी को खारिज कर दिया गया है. यह फैसला जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने सुनाया है. हाई कोर्ट ने हिंदू पक्ष की तरफ से दाखिल किए गए 15 मुकदमों में अंतरिम फैसला सुनाया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा हिंदू पक्ष के सभी मुकदमे सुनने लायक हैं.
बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट से आज आए फैसले का असर यह होगा कि हिंदू पक्ष की याचिकाओं पर हाई कोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी . हाईकोर्ट ने इन मुकदमों को सुनवाई के योग्य माना है. जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाया. इन 15 याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने 31 मई को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था.
ईदगाह का ढाई एकड़ का एरिया भगवान का गर्भगृह
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की बेंच कर रही है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में 18 याचिकाओं पर पोषणीयता के पॉइंट पर हिंदू पक्ष की तरफ से बहस मई में ही पूरी हो गई थी. हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि ईदगाह का ढाई एकड़ का एरिया भगवान का गर्भगृह है. इसे मंदिर पक्ष को सौंपा जाना चाहिए. पिछली सुनवाई पर हिंदू पक्ष की तरफ से हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता रीना सिंह ने बहस की थी.
यह भी पढ़ें: अदब और तहजीब की नगरी लखनऊ में दिनदहाड़े बाइक सवार कपल से छेड़खानी, वायरल हो रहा है VIDEO
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि अयोध्या विवाद की तर्ज पर इलाहाबाद हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई सीधे तौर पर कर रहा है. मथुरा की जिला अदालत में दाखिल की गई इन याचिकाओं को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए अपने पास पहले ही मंगा लिया था. दाखिल की गई 18 में से 15 याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट एक साथ सुनवाई कर रहा है. तीन याचिकाओं को मई में अलग कर दिया गया था.
वहीं शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने हिंदू पक्ष की याचिकाओं पर ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत आपत्ति दाखिल की थी. मुस्लिम पक्ष ने याचिकाओं की पोषणीयता को चुनौती दी थी. मुस्लिम पक्ष की तरफ से कई दलीलें पेश की गई थी कि हिंदू पक्ष की याचिकाओं को खारिज किया जाए. लेकिन अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 18 में से 15 याचिकाओं को लेकर बड़ा फैसला दिया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि सभी मामले सुनने योग्य हैं और इस पर गंभीरता से सुनवाई होगी.