Megha Engineering: 315 करोड़ रुपये की परियोजना के क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार को लेकर सीबीआई ने इस्पात मंत्रालय के NMDC आयरन एंड स्टील प्लांट के आठ अधिकारियों सहित मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया है. हाल ही में डेटा सामने आने के बाद ‘मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड’ चुनावी बांड की दूसरी सबसे बड़ी खरीदार बनकर उभरी है. पामिरेड्डी पिची रेड्डी और पीवी कृष्णा रेड्डी ने 966 करोड़ रुपये के बांड खरीदे.
8 अधिकारियों पर रिश्वत लेने का आरोप
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीबीआई ने एक शिकायत पर कार्रवाई की कि एनआईएसपी और एनएमडीसी के आठ अधिकारियों और मेकॉन लिमिटेड के दो अधिकारियों ने एमएनडीसी द्वारा मेघा इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रियल लिमिटेड को भुगतान के बदले रिश्वत ली थी.
चुनावी बांड खरीदने के बाद हैदराबाद मुख्यालय वाली मेघा रडार पर आ गईं. रिपोर्टों से पता चला है कि चुनावी बांड खरीदने के तुरंत बाद कंपनी को कई परियोजनाएं सौंपी गईं. एक विश्लेषण के अनुसार, मेघा को बांड खरीदने के समय 2019 और 2023 के बीच पांच प्रमुख परियोजनाएं मिलीं.
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मेघा इंजीनियरिंग पर क्या है भ्रष्टाचार का आरोप?
शनिवार को सार्वजनिक की गई एफआईआर के अनुसार, सीबीआई ने 10 अगस्त, 2023 को जगदलपुर में इंटेक वेल -पंप हाउस और क्रॉस-कंट्री पाइपलाइन के कार्यों से संबंधित 315 करोड़ की परियोजना में कथित रिश्वतखोरी के बारे में प्रारंभिक जांच दर्ज की थी.
सीबीआई ने NISP और NMDC लिमिटेड के आठ अधिकारियों को नामित किया है. सेवानिवृत्त कार्यकारी निदेशक प्रशांत दाश, निदेशक (उत्पादन) डीके मोहंती, डीजीएम पीके भुइयां, डीएम नरेश बाबू, वरिष्ठ प्रबंधक सुब्रो बनर्जी, सेवानिवृत्त सीजीएम (वित्त) एल कृष्ण मोहन, जीएम ( वित्त) के राजशेखर, प्रबंधक (वित्त) सोमनाथ घोष, जिन्होंने कथित तौर पर 73.85 लाख रुपये की रिश्वत ली थी.
एजेंसी ने मेकॉन लिमिटेड के दो अधिकारियों – एजीएम (कॉन्ट्रैक्ट्स) संजीव सहाय और डीजीएम (कॉन्ट्रैक्ट्स) के इलावरसु को भी नामित किया है. जिन्होंने कथित तौर पर एनएमडीसी लिमिटेड द्वारा एमईआईएल को 73 बिलों के बदले में 5.01 लाख रुपये का भुगतान प्राप्त किया था.