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‘ड्रैगन’ की नई चाल, समझौते के बाद भी LAC के पास की मिलिट्री ड्रिल, हिमाकत का मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी में भारत

India China Relation

चीनी सैनिक

India China Relation: चीन ने हाल ही में भारत के साथ अपनी सीमा पर एक नया सैन्य अभ्यास शुरू किया है, खासकर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास. यह सैन्य अभ्यास ऐसे वक्त में हुआ है जब भारत और चीन के बीच 2024 में एक समझौता हुआ था, जिसमें दोनों देशों ने सैनिकों को पीछे हटाने और पेट्रोलिंग को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई थी. इस समझौते को 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद शांति की दिशा में एक बड़ा कदम माना गया था.

चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियां

हालांकि, समझौते के बावजूद चीन अपनी सैन्य गतिविधियों को बढ़ा रहा है. चीनी सेना, यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने शिनजियांग मिलिट्री कमांड के तहत युद्धाभ्यास शुरू किया है. इस अभ्यास में ड्रोन, AI सिस्टम और अन्य सैन्य तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह अभ्यास LAC के पास, विशेष रूप से ऊंचाई वाले इलाकों में हो रहा है, जहां चीन अपनी रणनीतिक पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है.

वैसे तो चीन और भारत के रिश्तों में हमेशा से जटिलताएं रही हैं. विशेष रूप से दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव बढ़ने का इतिहास बहुत पुराना है. 1962 में हुए युद्ध के बाद से LAC पर दोनों देशों के सैन्य अभियान और गतिविधियां लगातार सुर्खियों में रही हैं. हालांकि, चीनी सेना की लगातार सैन्य गतिविधियां और सीमा पर उसकी बढ़ती सैन्य उपस्थिति इस समझौते की स्थिति को सवालों के घेरे में डाल रही हैं. जनवरी 2025 में चीन ने अपनी नापाक मंसूबा जाहिर कर दिया है.

चीन का उद्देश्य

चीन की सेना इन इलाकों में एक्सोस्केलेटन (Exoskeleton) का उपयोग कर रही है, जिससे सैनिकों को ऊंचाई पर सैन्य अभ्यास करने में आसानी हो रही है. यह टेक्नोलॉजी सैनिकों को शारीरिक रूप से बेहतर स्थिति में रखती है, ताकि वे युद्धाभ्यास के दौरान अधिक ताकत और सहनशक्ति से काम कर सकें. यह अभ्यास यह संकेत देता है कि चीन अपनी सैन्य क्षमता को केवल प्रशिक्षण तक सीमित नहीं रख रहा, बल्कि रणनीतिक रूप से उस क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति को भी बढ़ा रहा है.

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भारत की क्या है तैयारी?

भारत ने चीन की इस गतिविधि को गंभीरता से लिया है और अपनी सैन्य तैयारियों को लगातार मजबूत कर रहा है.भारत ने अपनी सैन्य क्षमता को आधुनिक बनाने के प्रयासों को तेज कर दिया है. भारतीय सेना लद्दाख में शीतकालीन युद्धाभ्यास कर रही है और सीमा पर बुनियादी ढांचे में सुधार भी किया जा रहा है.

इसके अलावा, भारत ने LAC पर अपनी सैनिकों की तैनाती को भी बढ़ा दिया है और संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त बहाल की है. देपसांग और डेमचोक जैसे क्षेत्रों में गश्ती बहाल करना, दोनों देशों के रिश्तों में सुधार का एक संकेत हो सकता है, लेकिन चीन की सैन्य गतिविधियां यह स्पष्ट करती हैं कि दोनों देशों के बीच स्थायी शांति स्थापित करना अभी एक कठिन कार्य है.

ऊंचाई वाले इलाकों में चीन की रणनीतिक बढ़त

चीन ने अपनी सैन्य गतिविधियों को ऊंचाई वाले इलाकों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसने उन इलाकों में अपनी उपस्थिति को भी मजबूत किया है जहां भारत की सेना की मौजूदगी पहले से ही बहुत मजबूत है. LAC के पास स्थित कई ऊंचे पहाड़ी इलाके दोनों देशों के लिए सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, और चीन यहां अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.

दोनों देशों के सैन्य तनाव का समाधान

भारत और चीन दोनों ही देशों के बीच शांति बनाए रखने के प्रयास लगातार जारी हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि चीन की सैन्य गतिविधियां भारत के लिए चिंता का कारण बन रही हैं. हालांकि, दोनों देशों के बीच कुछ समझौतों के बावजूद, वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थिति पूरी तरह से सामान्य नहीं हुई है.

भारत को अपनी सैन्य शक्ति को और मजबूत करने की आवश्यकता है. भारतीय सेना के पास न केवल एक मजबूत भूमि सेना होनी चाहिए, बल्कि उसकी हवाई और समुद्री ताकत भी प्रबल होनी चाहिए, ताकि चीन के किसी भी संभावित हमले का मुकाबला किया जा सके. इसके अलावा, भारतीय सेना को अपने सैन्य अभियान और रणनीति को भी अधिक सटीक और आधुनिक बनाना होगा.

भविष्य की दिशा

भारत और चीन के रिश्तों में आगे भी कई चुनौतियां बनी रहेंगी. चीन के सैन्य अभ्यास से यह संकेत मिलता है कि शांति की दिशा में अभी बहुत सी मुश्किलें आ सकती हैं. हालांकि, भारत भी लगातार अपनी रक्षा नीतियों में बदलाव और सुधार करने कर रहा है ताकि वह किसी भी प्रकार की सैन्य चुनौतियों का सामना कर सके.

चीन और भारत के बीच LAC पर तनाव एक पुरानी समस्या है, और इसे हल करने के लिए कई प्रयास किए गए हैं. हाल ही में चीन की सैन्य गतिविधियों में वृद्धि और ऊंचाई वाले इलाकों में उसकी उपस्थिति को देखते हुए, यह स्पष्ट हो रहा है कि दोनों देशों के बीच शांति लाने की प्रक्रिया को आसान नहीं कहा जा सकता.

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