Delhi Liquor Policy Case: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. केजरीवाल ने कथित आबकारी नीति घोटाले में सीबीआई की गिरफ्तारी को चुनौती दी है. मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच कर रही थी. वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी शीर्ष अदालत में केजरीवाल का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. अब मामले में अदालत का आदेश मंगलवार को आ सकता है.
अदालत में अधिवक्ता सिंघवी की दलीलें
दिल्ली के सीएम की ओर से शीर्ष अदालत में दलील देते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल का नाम सीबीआई की एफआईआर में नहीं है. सिंघवी ने आगे बताया कि जब सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी, तो उसने कहा था कि मुख्यमंत्री समाज के लिए कोई खतरा नहीं हैं. उन्होंने कहा, “अगस्त, 2023 में जो शुरू हुआ, वह इस साल मार्च में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तारी का कारण बना.” उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत और एक ट्रायल कोर्ट ने उन्हें पहले ही जमानत दे दी है. सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा पेश किया. 23 अगस्त को शीर्ष अदालत ने सीबीआई को मामले में अपना जवाबी हलफनामा पेश करने की अनुमति दी थी, जबकि केजरीवाल को जवाब दाखिल करने के लिए दो दिन का समय दिया.
केजरीवाल ने दायर की हैं दो याचिकाएं
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने मामले में जमानत से इनकार करने और सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं. वह दिल्ली उच्च न्यायालय के 5 अगस्त के आदेश को चुनौती दे रहे हैं, जिसमें उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखा गया था. 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था और उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर सीबीआई से जवाब मांगा था. इससे पहले, 5 अगस्त को दिल्ली उच्च न्यायालय ने केजरीवाल की गिरफ़्तारी को वैध ठहराया था.
अदालत ने कहा कि सीबीआई ने दिखाया है कि केजरीवाल किस तरह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, जो उनकी गिरफ़्तारी के बाद ही गवाही देने के लिए सुरक्षित महसूस करते हैं. उच्च न्यायालय ने केजरीवाल को सीबीआई मामले में ट्रायल कोर्ट से नियमित ज़मानत लेने की सलाह दी.
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आबकारी नीति मामला क्या है?
यह मामला दिल्ली सरकार की 2021-22 के लिए अब समाप्त हो चुकी आबकारी नीति के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित है. आरोप है कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने के लिए 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति ने कार्टेलाइज़ेशन की अनुमति दी और कुछ डीलरों का पक्ष लिया, जिन्होंने कथित तौर पर इसके लिए रिश्वत दी थी. इस आरोप का AAP ने बार-बार खंडन किया. इसके बाद नीति को रद्द कर दिया गया और दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच की सिफारिश की, जिसके बाद ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मामला दर्ज किया. इस मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और संजय सिंह भी गिरफ्तार हो चुके हैं. फिलहाल केजरीवाल जेल में हैं.