Electoral Bonds: केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक बताते हुए इस पर रोक लगा दी. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि बैंक तत्काल चुनावी बांड जारी करना बंद कर दें.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसबीआई राजनीतिक दलों द्वारा लिए गए चुनावी बांड का ब्योरा पेश करेगा और एसबीआई चुनाव आयोग को विवरण पेश करेगा और ECI इन विवरणों को वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा. फैसला सुनाते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि दो अलग-अलग फैसले हैं – एक उनके द्वारा लिखा गया और दूसरा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना द्वारा और दोनों फैसले सर्वसम्मत हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन और असंवैधानिक माना है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द करना होगा। pic.twitter.com/JVJWfPX0a1
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 15, 2024
सूचना के अधिकार का उल्लंघन- SC
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राजनीतिक दल चुनावी प्रक्रिया में प्रासंगिक इकाइयां हैं और चुनावी विकल्पों के लिए राजनीतिक दलों की फंडिंग के बारे में जानकारी आवश्यक है. अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि गुमनाम चुनावी बांड योजना अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सूचना के अधिकार का उल्लंघन है. काले धन पर अंकुश लगाने के लिए सूचना के अधिकार का उल्लंघन उचित नहीं है.
सर्वोच्च न्यायालय ने चुनावी बांड योजना को अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन और असंवैधानिक माना है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया है. कोर्ट का कहना है कि चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द करना होगा. कोर्ट ने आदेश दिया कि बैंक तत्काल चुनावी बांड जारी करना बंद कर दें.
अदालत ने कहा कि चुनावी बांड के माध्यम से कॉर्पोरेट योगदानकर्ताओं के बारे में जानकारी का खुलासा किया जाना चाहिए क्योंकि कंपनियों द्वारा दान पूरी तरह से बदले के उद्देश्य से है. आदेश में एसबीआई राजनीतिक दलों द्वारा लिए गए चुनावी बांड का ब्योरा पेश करने के लिए कहा गया है.