बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) को बड़ा झटका लगा है. दरअसल, उनके खिलाफ ग्वालियर की एमपी/एमएलए कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है. इसके बाद अब आरजेडी प्रमुख की कानूनी मुश्किलें बढ़ गई हैं. यह वारंट आर्म्स एक्ट के तहत 30 साल पुराने मामले से संबंधित है. विशेष रूप से यह 23 अगस्त, 1995 और 15 मई, 1997 के बीच फॉर्म 16 के तहत हथियारों की कथित खरीद से संबंधित है.
जांच से पता चलता है कि इस अवधि के दौरान तीन अलग-अलग फर्मों से हथियार और कारतूस प्राप्त किए गए थे. मामले में कुल 23 व्यक्ति शामिल हैं, जिनमें से छह के खिलाफ मुकदमा चल रहा है, दो मृतक हैं और 14 फरार हैं. पुलिस ने जुलाई 1998 में आरोप पत्र दायर किया था और उसी वर्ष अप्रैल में, कथित तौर पर लालू प्रसाद यादव के बेटे कुंद्रिका सिंह के लिए “फरारी पंचनामा” तैयार किया गया था.
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— Vistaar News (@VistaarNews) April 5, 2024
चारा घोटाला
बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव पहली बार चारा घोटाला मामले को लेकर सुर्खियों में आए. इस मामले में कोर्ट ने पहली बार 3 अक्टूबर 2013 को राजद सुप्रीमो को सजा सुनाई थी. इस मामले में लालू यादव को पांच साल की कैद और 25 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई थी. सजा के बाद लालू यावद दो महीने तक रांची के बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में बंद रहे. हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद वह बाहर आ गए.
अन्य मामले
इसके बाद कोर्ट ने देवघर कोषागार मामले में फंसे लालू यादव को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई. 23 जनवरी 2018 को चलबासा कोषागार से 33.67 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के मामले में उन्हें तीसरी बार पांच साल कैद की सजा सुनाई गई थी.
इसके बाद 15 मार्च 2018 को कोर्ट ने उन्हें दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के इस मामले में चौथी बार सात साल कैद की सजा सुनाई. डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी मामले में उन्हें 21 फरवरी 2022 को पांचवीं सजा सुनाई गई. इसमें कोर्ट ने लालू यादव को पांच साल जेल और 60 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.