Electoral Bond: इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर काफी लंबे समय से जारी विवाद अब थमता हुआ नजर आ रहा है. सुप्रीम कोर्ट की आदेश के बाद अब इस स्कीम को बैन कर दिया गया है. कोर्ट के आदेश पर एसबीआई ने सारे आकड़ें चुनाव आयोग को सौंप दिया. जिसे अब चुनाव आयोग ने सार्वजनिक कर दिया है. इसके बाद से लोगों के मन में सवाल है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कौन सी पार्टी ने कितना पैसा कमाया, किसने कितना चंदा दिया, अब इन आंकडों को चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर शेयर कर दिया है.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने जो पीडीएफ चुनाव आयोग के साथ साझा किया है, वो काफी जटिल है. आंकड़ों में बड़े स्तर पर खेल है. आसान शब्दों में समझने की कोशिश की जाए तो कुछ सवालों के जवाब जरूर मिल जाते हैं. जैसे की इस स्किम के जरिए बीजेपी को कितना पैसा मिला है, टीएमसी ने कितना कमाया है, आम आदमी पार्टी को कहां से चंदा मिला. इन सभी सवालों के जवाब मिल गए हैं और जो आंकड़े सामने आए हैं वो हैरान करने वाले हैं.
बीजेपी को मिला सबसे ज्यादा पैसे
आंकड़े के मुताबिक, इलोक्टोरल बॉन्ड के जरिए सबसे ज्यादा चंदा बीजेपी को दिया गया है, जो 6,060.50 करोड़ बैठता है. सबसे बड़ी बात सामने ये आई है कि कुल इलेक्टोरल बॉन्ड्स के 47 फीसदी हिस्सा बीजेपी को मिला है. चंदा लेने के मामले में बीजेपी के बाद दूसरे पायदान पर ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी है. आंकड़ों के मुताबिक, टीएमसी को इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में 1,609.50 करोड़ का चंदा मिला है.
चंदे के मामले में तीसरे नंबर पर कांग्रेस
तीसरे नंबर पर कांग्रेस आ रही है जिसे पिछले कुछ सालों में 1,421.90 करोड़ का चंदा मिला है. चौथे नंबर पर केसीआर की पार्टी बीआरएस चल रही है जिसके खाते में 1,214.70 करोड़ रुपये गए हैं. अब ये सारी तो कई साल पुरानी पार्टियां हैं, लेकिन तेज गति से राष्ट्रीय पार्टी का तमगा हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड से 65.50 करोड़ मिले हैं.
सपा को मिले 14 करोड़ रुपये
वहीं समाजवादी पार्टी को सिर्फ 14 करोड़ का चंदा इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में हासिल हुआ है. इस सूची में सबसे कम चंदा गोवा फॉरवर्ड पार्टी को मिला है. कुछ दूसरे दल भी हैं जिन्होंने 500 करोड़ से ज्यादा का चंदा हासिल किया है, इस लिस्ट में डीएमके से लेकर ओडिशा की बीजेडी तक शामिल है.