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Maharashtra: पांच साल में 3 सीएम, दो बड़ी पार्टियों में फूट, 2019 के मुकाबले अब कितना बदला महाराष्ट्र का सियासत

Maharashtra Politics

महाराष्ट्र के सियासत में कितना बदलाव

Maharashtra Assembly Election 2024: चुनाव आयोग ने मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया. यहां 20 नवंबर को मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे और 23 नवंबर को नतीजे आएंगे. राज्य में फिलहाल महायुति की सरकार है, जिसमें भाजपा, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं. 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद राज्य की राजनीति में बहुत कुछ बदल चुका है. 2019 में साथ मिलकर चुनाव लड़ीं भाजपा और शिवसेना को नतीजों में बहुमत मिला, लेकिन मुख्यमंत्री के मुद्दे पर दोनों दलों का गठबंधन टूट गया. इसके बाद राज्य में कई राजनीतिक उठापटक हुई.

चुनावी नतीजों के बाद राज्य तीन अलग-अलग गठबंधनों की सरकारें देख चुका है. कभी सुबह का सूरज उगने से पहले सरकार का शपथ ग्रहण हुआ तो कभी सरकार में शामिल सबसे बड़े दल में टूट के बाद नई सरकार बनी. कभी शिवसेना में बगावत हुई तो कभी एनसीपी में बगावत हुई. इन पांच वर्षों में राज्य के सभी प्रमुख दलों ने सत्ता का सुख भोगा. राज्य में बड़े राजनीतिक दलों की संख्या भी चार से बढ़कर छह हो गई.

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पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजे

2019 विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला दो प्रमुख गठबंधनों के बीच था. पहला भाजपा और शिवसेना का गठबंधन जिसकी उस वक्त सरकार थी. वहीं, विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस और एनसीपी शामिल थे. इस दौरान 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को सबसे ज्यादा 105 सीटें मिलीं. वहीं, भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना को 56 सीटें आई थीं. इस तरह इस गठबंधन को कुल 161 सीटें मिलीं, जो बहुमत के आंकड़े 145 से काफी ज्यादा था. दूसरी ओर एनसीपी को 54 सीटें जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं.

सियासी उठापटक का खेल

विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद नई सरकार के गठन को लेकर राज्य में राजनीतिक संकट खड़ा गया. दरअसल, मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना और भाजपा में ठन गई. विवाद इतना बढ़ा कि शिवसेना ने एनडीए से अलग होने का फैसला ले लिया. कई दिनों तक राज्य में उहापोह की स्थिति बनी रही. राज्य में कोई सरकार बनते न देख महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की सिफारिश के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया.

कुछ दिन बाद अचानक आधी रात को राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया और 23 नवंबर 2019 की अल सुबह देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. उनके साथ अजीत पवार ने उप मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. हालांकि, भाजपा बहुमत साबित करने के लिए आवश्यक संख्या हासिल करने में नाकाम रही. तीन दिन के बाद फडणवीस और अजित पवार ने इस्तीफा दे दिया. इससे एक बार फिर राज्य में सियासी संकट खड़ा हो गया.

2019 से 2022 तक एमवीए सरकार

यह राजनीतिक संकट तब समाप्त हुआ जब शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच चर्चा के बाद एक नए गठबंधन, महाविकास अघाड़ी (एमवीए) का गठन हुआ. नए सियासी समीकरण के बाद 28 नवंबर, 2019 को उद्धव ठाकरे ने राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इसके बाद नवंबर 2019 से मई 2022 तक एमवीए सरकार चली. 2022 में हुए विधान परिषद चुनाव के दौरान कुछ ऐसी स्थिति बनी जिसके कारण राज्य राज्य में एक बार फिर सियासी संकट खड़ा हो गया.

जून 2022 में फिर सियासी संकट

दरअसल, जून 2022 में महाराष्ट्र में विधान परिषद की 10 सीटों पर चुनाव हुए. इसके लिए 11 उम्मीदवार मैदान में थे. एमवीए की तरफ से शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन ने छह उम्मीदवार उतारे थे तो भाजपा ने पांच। खास बात ये है कि शिवसेना गठबंधन के पास सभी छह उम्मीदवारों को जिताने के लिए पर्याप्त संख्या बल था, लेकिन वह एक सीट हार गई. इन पांच में कांग्रेस को केवल एक सीट मिली और एनसीपी-शिवसेना के खाते में दो-दो सीटें आईं.

भाजपा के समर्थन से सीएम बनें एकनाथ शिंदे

वहीं, भाजपा के पास केवल चार सीटें जीतने भर की संख्या बल थी, लेकिन पांचवीं सीट भी निकालने में पार्टी सफल रही. एमएलसी चुनाव में बड़े पैमाने पर क्रॉस वोटिंग हुई. इसके बाद महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे के साथ कई विधायक पहले गुजरात फिर असम चले गए. कई दिन चले सियासी ड्रामे के बाद उद्धव ठाकरे ने 29 जून, 2022 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे भाजपा के समर्थन से 30 जून, 2022 को मुख्यमंत्री बन गए.

करीब एक साल बाद महाराष्ट्र में एक बार फिर सियासी उठापटक हुई. 2 जुलाई 2023 को, अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी का समूह भाजपा-शिवसेना गठबंधन में शामिल हो गया. इसके साथ ही महायुति में सरकार में अजित ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. अजित के साथ एनसीपी के कुल आठ विधायकों ने मंत्री के तौर पर शपथ ली थी.

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