Lok Sabha Election 2024: बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है, साथ ही हर राज्य को संदेश दे दिया है कि अपने आप को पार्टी का धुरंधर मानने वाले नेताओं को इस बार अपने टिकट की गारंटी नहीं है. बीजेपी ने जिन 195 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है, उनमें उनमें 28 महिलाएं, 47 युवा उम्मीदवार, 27 अनुसूचित जाति (एससी), 18 अनुसूचित जनजाति (एसटी) और पिछड़े वर्ग के 57 लोगों को टिकट दिया गया है.
बता दें कि लोकसभा की 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश के 51 कैंडिडेट भी भाजपा की पहली सूची में शामिल हैं. पीएम मोदी लगातार तीसरी बार यूपी के वाराणसी से उम्मीदवार होंगे. वहीं राजनाथ सिंह लखनऊ से ही चुनाव लड़ेगें. भाजपा ने कई दिग्गजों के टिकट भी काटे हैं. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि भाजपा का बिहार के प्रति नजरिया क्या होगा. भाजपा की सूची देखें तो बहुत कुछ साफ हो जाएगा. हालांकि एक बात तो है कि बीजेपी ने बिहार से एक भी उम्मीदवारों को नहीं उतारा है.
बिहार में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय नहीं
बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में झारखंड, बंगाल और यूपी को तो कुछ हद तक कवर किया है लेकिन 195 उम्मीदवारों की लिस्ट में बिहार का एक भी नाम नहीं. बता दें कि बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं. इन सीटों पर बीजेपी और सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारा नहीं हो पाया है. एनडीए गठबंधन में जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और लोजपा के दोनों गुट में किसे कितनी सीटें दी जाएंगी यह तय नहीं हुआ है. सीटों के बंटवारे में देखना ये होगा कि किसे कहा से मौका दिया जा रहा है. अब बीजेपी की पहली लिस्ट में जब बिहार के उम्मीदवारों के नामों का ऐलान नहीं हुआ तो माना जा रहा है कि सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर अभी पेंच फंसा हुआ है. बीजेपी के पहली लिस्ट में एक भी नाम बिहार से नहीं है.
यह भी पढ़ें: पार्टी का दबाव, आरा से टिकट की चाहत या कुछ और…आसनसोल से चुनाव लड़ने से Pawan Singh ने क्यों किया इनकार? इनसाइड स्टोरी
महाराष्ट्र में भी फंसा पेंच
गठबंधन दलों के बीच सीट शेयरिंग में बीजेपी 32 सीटों पर, शिवसेना 12 सीटों पर और एनसीपी 4 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है. लेकिन अब तक फॉर्मूला तय नहीं हो सका है.
शिवसेना नेता ने 12 सीटों के फॉर्मूला पर असहमति जताई है. शिवसेना ने 2019 में 22 सीटों पर चुनाव लड़ा था. उन्हें आश्चर्य है कि वे अब सिर्फ 12 सीटें कैसे स्वीकार कर सकते हैं. कुछ लोग कह रहे हैं कि बीजेपी और शिवसेना को अपनी कुछ सीटें एनसीपी को दे देनी चाहिए, लेकिन गजानन कीर्तिकर का कहना है कि वे बीजेपी की इच्छा से बंधे नहीं हैं और वे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं.