Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए वोटिंग का समय जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, बिहार में सियासी जंग रोचक होते जा रही है. राज्य में सबसे ज्यादा चर्चा का केंद्र काराकाट लोकसभा सीट बनी हुई है. इस सीट पर जब से भोजपुरी फिल्म स्टार पवन सिंह ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, तमाम दावे और अटकलें चल रही है.
अब काराकाट से पवन सिंह के चुनाव लड़ने का ऐलान करने के बाद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने भी अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया है. AIMIM ने शनिवार को अपने तीन उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है. ओवैसी ने दरभंगा से मो. कलाम, शिवहर से पूर्व सांसद सीताराम सिंह के बेटे रणजीत सिंह और काराकाट से प्रियंका चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है.
इंडी गठबंधन के उम्मीदवार
काराकाट सीट से पवन सिंह ने चुनाव लड़ने का ऐलान तो कर दिया है. लेकिन बीते कुछ दिनों के दौरान उनके बीएसपी या आरजेडी से चुनाव लड़ने की अटकलें तेज हुई है. हालांकि अभी तक आगे का रुख स्पष्ट नहीं किया है. लेकिन इंडी गठबंधन के तहत इस सीट पर पहले ही सीपीआईएमएल ने राजा राम सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था.
ऐसे में अब पवन सिंह के चुनाव लड़ने की चर्चा से काराकाट में नए सियासी समीकरण तलाशे जाने लगे हैं. दरअसल, पवन सिंह राजपूत जाति से आते हैं और यह जाति राज्य में बीजेपी का कोर वोटर है. अब अगर पवन सिंह चुनाव लड़ते हैं तो बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को इसका सीधा नुकसान होना तय माना जा रहा है, ऐसे में एनडीए के उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा के लिए नई चुनौती खड़ी हो गई है.
एनडीए का दबदबा
2008 में परिसीमन के बाद बनी काराकाट लोकसभा सीट पर बीते तीनों चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है. लेकिन पवन सिंह के उतरने से यह चुनाव त्रिकोणीय बन गया है. पवन सिंह के कारण एनडीए का वोट कम होता है तो दूसरी ओर ओवैसी की पार्टी के कारण इंडी गठबंधन को नुकसान होने की पूरी संभावना है.
काराकाट के अंतर्गत रोहतास की तीन विधानसभा विधानसभा क्षेत्र डेहरी, नोखा और काराकाट आती है, जबकि औरंगाबाद जिले के तीन विधानसभा नवी नगर, गोह और ओबरा भी इसी लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है. डिहरी, नोखा और काराकाट भोजुपरी बेल्ट के अंतर्गत माना जाता है और नवी नगर, गोह और ओबरा को मगही बेल्ट के अंतर्गत रखा जाता है.
दो बार चुनाव जीत चुके हैं महाबली सिंह
पहले बार इस सीट पर 2009 में महाबली सिंह एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़े थे. तब उन्होंने आरजेडी के कांति सिंह को हराकर करीब 20 हजार वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी. इसके बाद 2009 में इस सीट पर एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर उपेंद्र कुशवाहा चुनाव लड़े और करीब एक लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी.
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वहीं बीते 2019 के चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर जेडीयू से फिर महाबली सिंह चुनाव लड़े थे. तब उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से बगावत कर चुके थे और महाबली सिंह ने उन्हें हराकर करीब 84 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीता था. लेकिन इस बार काराकाट में ‘महा-संग्राम’ काफी रोचक हो गया है.