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क्या तीसरे मोर्चे की हो रही तैयारी? ममता के ‘ऐलान-ए-जंग’ के बाद बदल रही है सियासी हवा

ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, नीतीश कुमार

ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, नीतीश कुमार

Lok Sabha Elections 2024: नाराज ममता बनर्जी ने ऐलान कर दिया है कि तृणमूल कांग्रेस (TMC) बंगाल की 42 लोकसभा सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी. ममता ने साफ-साफ कहा है कि चुनाव जीतने के बाद ही गठबंधन पर कोई बातचीत होगी. ममता के इस ऐलान के बाद इंडिया गठबंधन को झटका तो लगा ही है साथ ही देश में एक तीसरे मोर्चे की भी तैयारी शुरू हो गई है.

ममता ने क्या कहा? 

ममता ने कहा, “मेरी कांग्रेस के साथ कोई भी चर्चा नहीं हुई. मैंने हमेशा कहा है कि बंगाल में हम अकेले लड़ेंगे. मैंने कांग्रेस को कई प्रस्ताव दिए.लेकिन उन्होंने उन्हें खारिज कर दिया. मुझे इस बात की चिंता नहीं है कि बंगाल में क्या किया जाएगा. हम बंगाल में अकेले ही बीजेपी को हराएंगे.”

गठबंधन की ढीली गांठ

बता दें कि इंडिया गठबंधन की कई दौर की बैठक के बाद अभी तक सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर बात नहीं बन पाई है. ‘इंडी’ के अगुवा रहे नीतीश कुमार भी अब लगभग-लगभग गठबंधन से अलग ही चल रहे हैं. यूपी में अखिलेश ने पहले ही कांग्रेस की मांग के मुताबिक सीट देने से मना कर दिया है. ऐसे में राजनीतिक पंडितों का मानना है कि जल्द ही देश में एक अलग ही मोर्चे का निर्माण होने की संभावना है. हाल ही में जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारुक अब्दुल्ला ने कहा था कि अगर जल्द से जल्द सीट शेयरिंग पर बात नहीं बनी तो कुछ दल अपना अलग गठबंधन बना सकते हैं.

जिस तीसरे मोर्चे की बात हो रही, वो है क्या?

लोकसभा चुनाव के लिहाज से तीसरा मोर्चा राजनीतिक दलों का एक ऐसा गुट होगा जो न तो कांग्रेस के साथ है और न ही बीजेपी के साथ. हालांकि, अभी तक ये फाइनल नहीं है कि इस मोर्चे में कौन-कौन सी पार्टियां हो सकती हैं और कितनी सीटों पर असर डाल सकती हैं. हालांकि, जब भी किसी मोर्चे की बात की जाती है तो यूपी के 80 सीटों को दरकिनार नहीं किया जा सकता.

उदाहरण के लिए- अगर मायावती की पार्टी बीएसपी तीसरा मोर्चा बनाती हैं तो यूपी के साथ-साथ ओडिशा की सभी 21 सीटों पर असर डालने में कामयाब रहेंगी क्योंकि उनके साथ बीजेडी भी जुड़ सकती है. पंजाब में अकाली दल का साथ भी मिल सकता है. वो इसलिए क्योंकि न तो अकाली दल इंडिया गठबंधन का हिस्सा है औ न ही बीजेडी.

अगर इसके इतर तीसरे मोर्चे की बात करें तो ममता के ऐलान के बाद से राजनीतिक पंडितों का मानना है कि नीतीश, अखिलेश और ममता के बीच अगर बात बन गई तो तीसरा मोर्चा तय है. इसके बाद आने वाले लोकसभा चुनाव में इसका असर बिहार के 40, बंगाल के 42 और यूपी के 80 सीटों पर देखने को मिल सकता है. इसमें आम आदमी पार्टी के शामिल होने के भी आसार हैं. हालांकि, बुधवार को पंजाब के सीएम भगमंत मान ने भी ऐलान कर दिया कि पंजाब की सभी सीटों पर आम आदमी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी.

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तीसरे मोर्चे में प्रभावी होंगी ये पार्टियां

अगर दक्षिण की बात करें तो चौथी पार्टी है जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी है, जिसका असर आंध्र प्रदेश की सभी 25 सीटों पर दिखाई देता है. अभी तक तेलुगु देशम पार्टी ने भी किसी गठबंधन नहीं किया है. राज्य की सभी 25 सीटों पर इसका भी असर है. तेलंगाना की BRS पार्टी भी अभी किसी गठबंधन में नहीं है. राज्य की सत्ता से भले ही बीआरएस आउट हो गई है लेकिन राज्य की सभी 17 सीटों पर इसका असर बताया जाता है.

बदले-बदले दिख रहे हैं नीतीश

गौरतलब है कि इन दिनों सीएम नीतीश कुमार के तेवर बदले-बदले लग रहे हैं. ललन सिंह ने जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है. नीतीश की किसी भी बड़े नेता से 5-7 दिन में मुलाकात नहीं हुई है. सियासी गलियारों में कहा जा रहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सीएम नीतीश कुमार से बात की थी. नीतीश के एक्शन से कांग्रेस में बेचैनी है. नीतीश ने इंडिया गठबंधन के संयोजक बनने से भी इनकार कर दिया है. कांग्रेस के बड़े नेताओं में हलचल है. हालांकि, नीतीश फिलहाल शांत है. राजनीतिक पंडितो का कहना है कि आने वाले कुछ समय में नीतीश के इशारे में गठबंधन के भविष्य का फैसला हो सकता है.

अखिलेश भी कांग्रेस से नाराज

इंडिया गठबंधन से अखिलेश यादव भी खफा हैं. पिछले एक महीने से कोई भी ऐसा दिन नहीं जाता जब अखिलेश यादव ने कांग्रेस को आड़े हाथों न लिया हो. इसके लिए ज्यादा पीछे जाने की भी जरूरत नहीं है. रविवार को अखिलेश यादव ने कहा था कि अगर आपको राशन के नाम पर कुछ नहीं मिल रहा तो आप भाजपा को वोट क्यों देंगे? कांग्रेस को भी वोट मत देना, यह बहुत चालू पार्टी है.

 

 

 

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