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Maldives Elections: मालदीव में ‘चीनी समर्थक’ मोइज्जू की जीत, हिंद महासागर में बढ़ेगी टेंशन! जानिए चुनौतियों से निपटने के लिए क्या कर रहा भारत

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मालदीव में ‘चीनी समर्थक’ मोइज्जू की जीत, हिंद महासागर में बढ़ेगी टेंशन! जानिए चुनौतियों से निपटने क्या कर रहा भारत

Maldives Elections 2024: रविवार को मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की राजनीतिक पार्टी पीपुल्स नेशनल कांग्रेस(PNC) ने संसदीय चुनावों में 70 सीटें जीतकर सुपर बहुमत हासिल कर लिया. इस चुनाव पर भारत और चीन करीबी नजर रखे हुए थे. मुइज्जू के नेतृत्व वाली पीपुल्स नेशनल कांग्रेस(PNC) ने रविवार के चुनावों में पीपुल्स मजलिस(मालदीव की एकसदनीय विधायिका) की 93 में से 70 सीटें जीती. इसमे PNC के गठबंधन सहयोगियों दो दलों ने 3 सीटें जीती हैं. अब इस परिणाम ने मालदीव के पारंपरिक सहयोगी भारत से दूर होकर चीन के पक्ष में जाने की संभावना बढ़ गई है.

मुइज्जू के पास पहले संविधान को बदलने की नहीं थी ताकत

इस चुनाव में भारत के समर्थक माने जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के नेतृत्व वाली मुख्य विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) को निवर्तमान संसद में 65 के मुकाबले केवल 15 सीटें ही मिली. बता दें कि पहले PNC और उसके सहयोगियों के पास निवर्तमान संसद में केवल आठ सीटें थीं. इसका मतलब यह था कि भले ही मुइज्जू राष्ट्रपति थे, लेकिन उनके पास संविधान को बदलने की ताकत नहीं थी. बता दें कि मुइज्जू ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज करने से पहले ही मालदीव की ‘भारत पहले’ नीति को समाप्त करने का भी संकल्प लिया, जिससे भारत के साथ संबंधों में तनाव पैदा हो गया है. उनकी सरकार ने भारत की ओर से तैनात किए गए टोही विमानों को संचालित करने वाले 80 भारतीय सैनिकों को देश छोड़ने के लिए भी कहा गया है. इस फैसले में कहा जा रहा था कि संसद उनका सहयोग नहीं कर रही है.

चीनी शोध पोत ने मालदीव में अपनी दर्ज कराई उपस्थिति

फरवरी में मुइज्जू सरकार ने चीनी शोध पोत जियांग यांग होंग 3 के संबंध में एक और समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसने हाल ही में मालदीव में अपनी उपस्थिति भी दर्ज कराई. यह समझौता संभावित रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री शोध को प्रभावित करने वाला है. यह जहाज मालदीव तब गया जब मुइज्जू सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं और संवेदनशील जानकारी की सुरक्षा का हवाला देते हुए भारत के साथ हाइड्रोग्राफी समझौते को नवीनीकृत करने से इनकार कर दिया. बता दें कि हाइड्रोग्राफ़िक सर्वेक्षण समझौते पर 8 जून, 2019 को पीएम मोदी की मालदीव यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे.

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उन्हें हमें धमकाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता- मुइज्जू

इसी महीने मुइज्जू ने चीनी सरकारी स्वामित्व वाली कई कंपनियों को उच्च-स्तरीय हाई प्रोफाइल इन्फ्रास्टक्चर ढांचे के ठेके दिए थे. राष्ट्रपति बनते ही मुइज्जू ने जनवरी में चीन का दौरा किया और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने कहा कि हम भले ही छोटे हैं, लेकिन इससे उन्हें हमें धमकाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता. हालांकि, उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन इस टिप्पणी को भारत से जोड़ कर देखा गया. इस बीच एक और बात गौर करने वाली है कि पिछले महीने मुइज्जू ने शांति की पहल करते हुए मालदीव को भारत की ओर से वित्तीय सहायता दिए जाने की बात स्वीकारी और कहा कि भारत मालदीव का सबसे करीबी सहयोगी बना रहेगा. बता दें कि पिछले साल के अंत तक मालदीव पर भारत का करीब 400.9 मिलियन डॉलर बकाया था.

ऋण जाल और स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स के जरिए कई देशों को घेर रहा चीन

बता दें कि चीन अपनी ऋण जाल कूटनीति और स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स के जरिए कई देशों में वाणिज्यिक, सैन्य ठिकानों और बंदरगाहों का एक नेटवर्क बना रहा है. ऐसा इसलिए है कि चीन के व्यापार का एक बड़ा हिस्सा हिंद महासागर, होर्मुज, मलक्का जलडमरूमध्य और लोम्बोक जलडमरूमध्य जैसे कई बिंदुओं से होकर गुजरता है. रक्षा विश्लेषकों का मानना ​​है कि यह सिद्धांत भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है. इस तरह की व्यवस्था भारत को घेर लेगी और उसकी शक्ति, व्यापार और क्षेत्रीय अखंडता को खतरे में डाल देगी.

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चीन को उसके ही घर में काबू करने की कोशिश कर रहा है भारत

भारत अब चीन को उसके ही घर में काबू करने की कोशिश कर रहा है. शुक्रवार को भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल सिस्टम की पहली खेप सौंपी, जो दक्षिण चीन सागर में चीन की दादागिरी की रणनीति का शिकार है. वहीं भारत ने वियतनाम को भी अपने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण में हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है, साथ ही ब्रह्मोस मिसाइलों के साथ-साथ आकाश मिसाइल रक्षा प्रणाली की पेशकश भी की है. 2022 में, भारत ने वियतनाम को दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों के हिस्से के रूप में 100 मिलियन डॉलर लाइन ऑफ क्रेडिट के तहत निर्मित 12 हाई-स्पीड गार्ड बोट दिए हैं.

पड़ोसी देशों के साथ नियमित सैन्य अभ्यास कर रहा है भारत

भारत चीन की चालबाजी का मुकाबला करने के लिए कई रणनीति का उपयोग कर रहा है. इस रणनीति में बंदरगाहों का निर्माण, चीनी युद्धपोतों और पनडुब्बियों पर नजर रखने के लिए व्यापक तटीय निगरानी रडार(सीएसआर) प्रणाली, चीनी पनडुब्बियों को ट्रैक करने में सक्षम अत्याधुनिक निगरानी विमानों का आयात, चीन की ओर से बनाए गए बंदरगाहों पर नजर रखने के लिए पड़ोसी देश में हवाई अड्डे का संचालन, रक्षा संबंधों को गहरा करना, दक्षिण एशियाई देशों, हिंद महासागर क्षेत्र के द्वीप राष्ट्रों, दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों का विस्तार करना और अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं के साथ नियमित सैन्य अभ्यास करना शामिल है.

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