MP CM Mohan Yadav: बिहार की भूमि राजनीति की जननी है. यहां जयप्रकाश नारायण जैसे सत्ता हिला देने वाले नेताओं का जन्म हुआ है. केंद्र की सत्ता के नजरिए से बिहार बहुत महत्वपूर्ण राज्य भी रहा है. यही कारण है कि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव को जीतने के लिए मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव को ‘मास्टर स्ट्रोक’ बनाकर बिहार भेजा है. पहली बार सीएम बने मोहन यादव की पकड़ ना केवल प्रदेश के मालवा में है, बल्कि भोपाल से एक हजार किलोमीटर दूर पटना के यादवों के बीच भी है. ऐसे में लोकसभा चुनाव के पहले मोहन यादव का बिहार दौरा यादव वोट बैंक को लुभाने का एक बड़ा कारण भी हो सकता है.
यादव वोट बैंक पर नजरें
मोहन यादव का बिहार जाना केवल एक संयोग नहीं हो सकता है. बल्कि बिहार में होने वाली जातीय राजनीति का हिस्सा भी हो सकता है. बिहार में यादव सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं. यहां पर 14.26 फीसदी वोटर यादव हैं और यहां यादव विधायकों की संख्या 21 प्रतिशत है, जो कि बताती है कि इस राज्य में यादव वोट बैंक कितना शक्तिशाली है. बीजेपी ने मध्य प्रदेश में एक नए चेहरे के रूप में मोहन यादव को सीएम बनाया है, जो एमपी के ओबीसी वोटर्स के साथ-साथ बिहार के यादव वोटर्स को भी अपनी ओर खींचने का काम कर सकते हैं.
लोकसभा चुनावों में यादवों की भूमिका
लोकसभा चुनाव होने में कुछ महीने ही बाकी हैं. बिहार में 40 लोकसभा सीट हैं, जिनमें से 5 लोकसभा सीटों पर यादव समाज निर्णायक भूमिका में है. 2019 के चुनाव में बीजेपी को 17 सीटें मिली थीं.
अगले साल 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव भी है. दरअसल राज्य में 2 अक्टूबर 2023 को जारी जातीय जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.01 प्रतिशत जबकि पिछड़ा वर्ग की आबादी 27.12 प्रतिशत है. ऐसे में बीजेपी मोहन यादव के जरिए यह संदेश भी देना चाहती है कि अगर उनकी सरकार बनती है तो यादव चेहरे या किसी ओबीसी चेहरे को सीएम बनाया जा सकता है.