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पति से गुजारा भत्ता मांग सकती है मुस्लिम महिला, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

Supreme Court on Alimony

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Supreme Court on Alimony: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (10 जुलाई) को मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के बाद दिए अपने फैसले में कहा कि पत्नी के भरण-पोषण के कानूनी अधिकार से संबंधित सीआरपीसी की धारा 125 हर धर्म की महिलाओं पर लागू होती है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस धारा के तहत तलाकशुदा मुस्लिम महिला भी अपने पति से गुजारा भत्ता लेने की हकदार है और भरण-पोषण के लिए याचिका दायर कर सकती है.

क्या है मामला?

दरअसल, गुजारा भत्ता का यह मामला तेलंगाना हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद उपजा था. तेलंगाना हाई कोर्ट ने अब्दुल समद नाम के एक मुस्लिम शख्स को अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था. इसी आदेश के खिलाफ समद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. उसने दलील दी थी कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला सीआरपीसी की धारा 125 के तहत याचिका दायर करने की हकदार नहीं है और उन्हें मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 1986 के प्रावधानों के तहत ही चलना होगा.

जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने आज इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि मुस्लिम महिला अधिनियम 1986 सेक्युलर लॉ को दरकिनार नहीं कर सकता. न्यायालय ने साफ किया कि पत्नी के भरण-पोषण के कानूनी अधिकार से संबंधित सीआरपीसी की धारा 125 हर धर्म की महिलाओं पर लागू होती है और इसके तहत तलाकशुदा मुस्लिम महिला भी अपने पति से गुजारे भत्ता लेने की हकदार है.

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भाजपा ने फैसले का किया स्वागत

भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “एक मुसलमान के तौर पर मैं सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करता हूं. दशकों पहले कांग्रेस और राजीव गांधी ने कट्टरपंथियों के सामने घुटने टेक दिए थे और वोटबैंक की बलिवेदी पर महिलाओं के अधिकारों की बलि दे दी थी. आज कांग्रेस और राजीव गांधी के वारिसों को अपने महिला विरोधी रुख के लिए माफी मांगनी चाहिए.”

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