NCERT ने 12वीं की पॉलिटिकल साइंस की किताब से हटाया बाबरी विध्वंस के 3 संदर्भ, अयोध्या विवाद खंड को किया संशोधित

NCERT: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने 12वीं कक्षा की पॉलिटिकल साइंस की किताब में संशोधन किया है. जिसके तहत राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े संदर्भ को खत्म कर दिया गया है.
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NCERT ने 12वीं की पॉलिटिकल साइंस की किताब से हटाया बाबरी विध्वंस के 3 संदर्भ

NCERT: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने 12वीं कक्षा की पॉलिटिकल साइंस की किताब में संशोधन किया है. जिसके तहत राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े संदर्भ को खत्म कर दिया गया है. किताब में अयोध्या विवाद पर एक चैप्टर के सेक्शन राम जन्मभूमि आंदोलन को प्रधानता देने के लिए संशोधन किया गया है, जो 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में मंदिर के लिए अनुमति देने वाला फैक्टर है. मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के संदर्भ हटा दिए गए हैं. संशोधित पुस्तक एक महीने में छात्रों के बीच में आने की उम्मीद है.

बता दें कि ये बदलाव शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिए NCERT द्वारा किए गए स्कूल पाठ्यपुस्तकों के संशोधन का हिस्सा हैं, जिन्हें हाल ही में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) को सूचित किया गया था. एनसीईआरटी स्कूली शिक्षा पर केंद्र सरकार को सलाह देने वालीशीर्ष निकाय है. जिसे सालाना 4 करोड़ से अधिक छात्रों द्वारा उपयोग की जाने वाली स्कूली पाठ्यपुस्तकों का मसौदा तैयार करने का काम सौंपा गया है.

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2006-07 से यह सेक्शन पुस्तक का हिस्सा रहा है

संशोधन मूल पुस्तक ‘स्वतंत्रता के बाद से भारत में राजनीति’ के अध्याय 8 से संबंधित हैं. जो कि साल 2006-07 पुस्तक का हिस्सा रहा है. जो भारतीय राजनीति में पांच प्रमुख “हाल के घटनाक्रम” में से एक के रूप में अयोध्या आंदोलन को सूचीबद्ध करता है. अन्य चार: 1989 में अपनी हार के बाद कांग्रेस का पतन; 1990 में मंडल आयोग; 1991 से शुरू हुए आर्थिक सुधार; और 1991 में राजीव गांधी की हत्या शामिल हैं.

घटनाओं के सीक्वेंस में जानकारी  

किताब के मूल अध्याय में अयोध्या विवाद पर एक चार पेज का हिस्सा (पेज संख्या 148-151) है जिसमें घटनाओं के अनुक्रम का विवरण दिया गया है. जैसे की 1986 में ताले खोलना, “दोनों पक्षों की लामबंदी”, बाबरी मस्जिद का विध्वंस . इसमें विध्वंस के परिणाम, भाजपा शासित राज्यों में राष्ट्रपति शासन, सांप्रदायिक हिंसा और “धर्मनिरपेक्षता पर गंभीर बहस” के बारे में भी बात की गई है. इस खंड का संशोधित संस्करण उपलब्ध नहीं है लेकिन एनसीईआरटी ने इस तथ्य को सार्वजनिक कर दिया है कि इसे बदल दिया गया है और बदलाव के पीछे क्या कारण हैं.

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