Supreme Court on NEET: सुप्रीम कोर्ट से मेडिकल के छात्रों स्टूडेंट्स को खुशखबरी मिली है. गुरुवार को नीट एग्जाम को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छात्रों की बात मान ली गई है. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने उन अभ्यर्थियों के स्कोरकार्ड रद्द करने का फैसला किया है, जिन्हें ग्रेस मार्क्स दिए गए थे.
NTA ने सुप्रीम कोर्ट से क्या कहा?
एनटीए ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 1563 अभ्यर्थियों के परिणामों की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की गई थी, जिन्हें नीट-यूजी की परीक्षा में बैठने के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के लिए ‘ग्रेस मार्क्स’ दिए गए थे. समिति ने सभी 1563 अभ्यर्थियों के स्कोरकार्ड रद्द करने का फैसला किया है, जिन्हें ग्रेस मार्क्स दिए गए थे. इन सभी छात्रों के पास अब दोबारा परीक्षा देने का विकल्प होगा, लेकिन ये अनिवार्य नहीं है. जो छात्र दोबारा परीक्षा नहीं देना चाहते, उन्हें बिना ग्रेस मार्क्स के उनके ओरिजनल मार्क्स दिए जाएंगे. एनटीए ने कहा कि परीक्षा 23 जून को आयोजित की जाएगी और परिणाम 30 जून से पहले घोषित किए जाएंगे.
जानें क्या है पूरा विवाद
दरअसल, मेडिकल के छात्रों ने कई सवाल उठाए हैं. जैसे, इस बार ऑल इंडिया फर्स्ट रैंक पर 67 अभ्यर्थी रहे. पहली रैंक पर इतनी बड़ी संख्या में छात्र कैसे आ गए? 720 में से 718, 719 नंबर कैसे दिए गए? क्योंकि अगर छात्र सारे सवाल सही करता तो 720 नंबर मिलते. वहीं, एक भी गलत होता तो माइनस मार्किंग के कारण अधिकतम 715 नंबर मिलते और एक सवाल छोड़ देता तो 716 अंक मिलते. साथ ही एक एग्जाम सेंटर से कई टॉपर निकलना भी विवाद का कारण बना हुआ है. उधर, इन सवालों को लेकर पहले जब एनटीए से सवाल पूछा गया था तो एजेंसी ने इसके पीछे की वजह ग्रेस मार्क्स बताया था.
शिक्षा मंत्री बोले- दोषियों को दंड दिया जाएगा
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की नीट-यूजी परीक्षा पर प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा, “अभी जो मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. सरकार ने भी उसमें अपना पक्ष रखा है. सरकार उसका सामना करने के लिए, उसका संतुष्टि के साथ बच्चों को उत्तर देने के लिए बहुत प्रमाणिकता के साथ खड़ी है. जो घटना सामने आई है, सरकार ने उसको गंभीरता से लिया है. एनटीए देश में 3 बड़ी परीक्षाएं (NEET, JEE और CUET) सफलतापूर्वक आयोजित करता है. निश्चित रूप से दोषियों को दंड दिया जाएगा.”