NEET UG Result: मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट के रिजल्ट में कथित गड़बड़ी का मामला तूल पकड़ता ही जा रहा है. परीक्षार्थियों के हंगामे और CBI जांच की मांग के बीच नेशनल टेस्टिंग एजेंसी(NTA) ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि शिक्षा मंत्रालय ने ग्रेस मार्क्स मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. UPSC के पूर्व चेयरमैन की अगुवाई में यह कमेटी एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंप देगी. NTA की ओर से कहा गया कि स्टूडेंट्स को ग्रेस अंक देने से परीक्षा के नतीजों या क्वालिफाइंग क्राइटेरिया में कोई असर नहीं नहीं पड़ा है. इसी के साथ NTA की ओर से पेपर लीक होने के आरोपों को भी खारिज कर दिया गया. गौरतलब है कि, NEET की परीक्षा में 67 छात्रों को 720 में से 720 अंक मिले. इससे कटऑफ मार्क भी अचानक बढ़ गया. इसके बाद से हजारों छात्र, पेरेंट्स और कोचिंग संचालक पेपर लीक का आरोप लगा रहे हैं.
परीक्षा का प्रोटोकॉल और स्टैंडर्ड बनेगा और भी मजबूत
NTA के डीजी सुबोध कुमार सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह मसला सिर्फ 1600 स्टूडेंट्स का है. 23 लाख से ज्यादा बच्चों ने परीक्षा दिया. यह सिर्फ 4750 सेंटर की बजाए केवल 6 सेंटरों का ही मामला है. उन्होंने कहा कि कमेटी इन करीब 1600 स्टूडेंट्स को दिए गए ग्रेस मार्क्स और टाइम लॉस मामले की जांच करेगी. अगर जरूरत पड़ी तो इन सभी के रिजल्ट संशोधित किया जा सकता है.. उन्होंने आगे कहा कि इससे NEET रिजल्ट के बाद होने वाली MBBS और BDS समेत अन्य मेडिकल कोर्सेज की एडमिशन प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा. कमेटी की ओर से जो सिफारिशें आएंगी, हम उसी आधार पर फैसला लेंगे. पेपर लीक के आरोपों पर सुबोध कुमार सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया पर जो पेपर आया, वह परीक्षा प्रारंभ होने के बाद आया. हम भविष्य में परीक्षा के प्रोटोकॉल और स्टैंडर्ड को और मजबूत बनाएंगे ताकि फिर से इस तरह की गलती फिर से न हो सके.
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परीक्षा प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी रही- NTA के डीजी
सुबोध कुमार सिंह ने आगे कहा कि टॉइम लॉस होने के मामले पर हमारी समिति ने बैठक की और केंद्रों के साथ CCTV की भी जांच की. इसमें पता चला कि कुछ केंद्रों पर समय की बर्बादी हुई है और छात्रों को इसके लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए. समिति ने सोचा शिकायतों को दूर करने के लिए छात्रों को मुआवजा को तौर पर कुछ छात्रों के अंक ग्रेस मार्क्स देकर बढ़ा दिए गए. इस कारण, कुछ छात्रों ने दावा किया कि कुछ उम्मीदवारों को 718 और 719 अंक मिले और 6 टॉपर बन गए. हमने सभी चीजों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया है और तब परिणाम जारी किए हैं. हमने उच्च न्यायालय में जवाब दिया है कि हमने विशेषज्ञों की एक समिति बनाई है, जो यह समिति परीक्षा केंद्र से रिपोर्ट, CCTV फुटेज सहित समय की बर्बादी की जांच करेगी. पूरे देश में परीक्षा की पारदर्शिता से समझौता नहीं किया गया और कोई पेपर लीक नहीं हुआ. पूरी परीक्षा प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी रही.