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जिस अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर हो रहा है बवाल, वहां PM मोदी ने भेजी चादर, AAP ने कसा तंज

Ajmer Urs 2025

पीएम मोदी ने भेजी चादर

Ajmer Urs 2025: भारत में सूफी संतों की दरगाहों का विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, और अजमेर शरीफ दरगाह उन्हीं में से एक है. इस दरगाह में हर साल ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स के अवसर पर लाखों श्रद्धालु अपनी आस्था व्यक्त करने के लिए पहुंचते हैं. इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परंपरा को निभाते हुए अपनी ओर से चादर भेजी है. 4 जनवरी को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू अजमेर शरीफ दरगाह पर पीएम की चादर चढ़ाएंगे.

813वां उर्स और पीएम मोदी की चादर

इस साल अजमेर शरीफ में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का 813वां उर्स मनाया जा रहा है. यह उत्सव 28 दिसंबर से शुरू हुआ है. इस उर्स के दौरान दरगाह पर लाखों लोग अपनी श्रद्धा अर्पित करने के लिए पहुुंच रहे हैं. हर साल की तरह इस बार भी पीएम मोदी ने चादर भेजी है. इस बार पीएम मोदी की ओर से भेजी जा रही चादर 11वीं बार चढ़ाई जाएगी.

क्या बीजेपी बदल रही है- AAP

जहां एक ओर पीएम मोदी की चादर को धार्मिक एकता और सांस्कृतिक सम्मान का प्रतीक माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाए हैं. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि क्या बीजेपी अब बदल रही है? उन्होंने यह तंज भी कसा कि पहले दिल्ली में इमामों की तनख्वाह की मांग उठाने वाली बीजेपी अब दरगाह पर चादर चढ़ा रही है.

दरगाह प्रमुख ने क्या कहा?

इस पर अजमेर शरीफ दरगाह के प्रमुख नसीरुद्दीन चिश्ती ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने पीएम मोदी की चादर को स्वागत योग्य बताया और कहा कि यह देश की परंपरा का हिस्सा है. उन्होंने यह भी कहा कि 1947 के बाद से हर प्रधानमंत्री ने ख्वाजा गरीब नवाज के दरबार में चादर भेजी है, और पीएम मोदी इस परंपरा को न केवल निभा रहे हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता को भी प्रदर्शित कर रहे हैं.

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अजमेर शरीफ दरगाह का महत्व

अजमेर शरीफ दरगाह भारत की सबसे प्रसिद्ध सूफी दरगाहों में से एक है, जो न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर श्रद्धालु अपनी मन्नतों के साथ चादर चढ़ाते हैं, और यह एक परंपरा बन चुकी है. उर्स के दौरान यह स्थल एक साथ देश-विदेश से आने वाले भक्तों के आस्था का केंद्र बन जाता है.

दरगाह या मंदिर?

अजमेर की विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर बीते दिनों से पूरी देश की सियासत में बवाल मचा हुआ है. इस विवाद की शुरुआत अजमेर के एक सिविल कोर्ट में दायर याचिका से हुई. इसमें हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने बीते 25 सितंबर 2024 को दरगाह के अंदर एक शिव मंदिर होने का दावा किया. इसको लेकर उन्होंने ‘अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव‘ किताब के तर्कों का भी हवाला दिया. इसमें अजमेर दरगाह के नीचे हिंदू मंदिर का जिक्र किया गया है. इसको लेकर 27 नवंबर को कोर्ट ने याचिका मंजूर कर दी थी.

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