Inheritance Tax: भारत में ‘विरासत कर’ पर इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा की हालिया बयान ने बहस छेड़ दी है. इस बात पर अलग-अलग राय है कि क्या इस तरह के कर को लागू करने से धन का उचित वितरण हो सकता है. इसके विपरीत, कुछ लोग विभिन्न आर्थिक और सामाजिक कारकों का हवाला देते हुए तर्क देते हैं कि भारत में विरासत कर लागू करना उचित नहीं हो सकता है. हालांकि, अब इस पार राजनीति माहौल भी गरमाया हुआ है. बीजेपी एक ओर जहां कांग्रेस को घेर रही है, वहीं कांग्रेस ने अपने नेता के बयानों से कन्नी काट लिया है.
हालांकि, कर विशेषज्ञों का तर्क है कि भारत में विरासत कर उचित नहीं है क्योंकि यह कड़ी मेहनत को हतोत्साहित करता है और देश को पीछे ले जा सकता है. उनका मानना है कि इस तरह का कर व्यक्तियों को सफलता के लिए प्रयास करने से हतोत्साहित करेगा और राष्ट्रीय प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है. उनके विचार में, विरासत कर लागू करना राष्ट्रीय हित में नहीं है.
क्या है विरासत कर ?
विरासत कर एक मृत व्यक्ति के धन और संपत्ति के कुल मूल्य पर उनके कानूनी उत्तराधिकारियों को वितरित किए जाने से पहले लगाया जाने वाला कर है. कर की गणना आम तौर पर किसी छूट या कटौती के बाद छोड़ी गई संपत्ति के मूल्य के आधार पर की जाती है. विरासत कर का उद्देश्य अक्सर सरकार के लिए राजस्व उत्पन्न करना और धन का पुनर्वितरण करना होता है.
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दुनियाभर में विरासत कर की क्या व्यवस्था है?
जापान में विरासत कर की दर 55 प्रतिशत है. दक्षिण कोरिया में 50 प्रतिशत की दर है. फ़्रांस 45 प्रतिशत की विरासत कर दर लगाता है, जबकि यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों की दर 40 प्रतिशत है. विरासत कर आर्थिक नीतियों को आकार देने, धन हस्तांतरण और अंतर-पीढ़ीगत इक्विटी पर निर्णयों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यहां देखें 20 देशों में कितना लगता है विरासत कर…
- जापान – 55फीसदी
- दक्षिण कोरिया – 50 फीसदी
- फ्रांस – 45 फीसदी
- यूनाइटेड किंगडम – 40 फीसदी
- संयुक्त राज्य अमेरिका – 40 फीसदी
- स्पेन – 34 फीसदी
- आयरलैंड – 33 फीसदी
- बेल्जियम – 30 फीसदी
- जर्मनी – 30 फीसदी
- इंडिया- 30 फीसदी
- चिली – 25 फीसदी
- यूनान – 20 फीसदी
- नीदरलैंड – 20 फीसदी
- फिनलैंड – 19 फीसदी
- डेनमार्क – 15 फीसदी
- आइसलैंड – 10 फीसदी
- टर्की – 10 फीसदी
- पोलैंड – 7 फीसदी
- स्विट्जरलैंड – 7 फीसदी
- इटली – 4 फीसदी
भारत में विरासत कर क्या है?
भारत की बात करें तो यहां विरासत टैक्स नाम से कोई भी टैक्स सरकार नहीं लेती है. इंडिया का टैक्स सिस्टम एज ग्रुप के हिसाब से डिवाइड किया गया है, जिसमें 60 वर्ष से नीचे वालों के लिए अलग प्रावधान और छूट है, जबकी 60-80 वालों के लिए अलग व्यवस्था बनाई गई है. वहीं अमेरिका के टैक्स सिस्टम की बात करें तो वहां सिंगल व्यक्ति के लिए अलग प्रावधान है, जिसमें अनमैरेड और डिवोर्स पर्सन आते हैं. वहीं विवाहित जोड़े के लिए ज्वाइंट इनकम के आधार पर अलग से टैक्स सिस्टम तैयार किया गया है.
भारत में 2.5 लाख से नीचे के कमाई को टैक्स फ्री रखा गया है. जबकि अमेरिका में 9,950 डॉलर (8.28 लाख रुपए) की कमाई वाले सिंगल लोगों को टैक्स फ्री के दायरे में रखा गया है. उससे अधिक कमाने पर 10% का टैक्स लगता है. वहीं जब कमाई उससे अधिक होती है तो 12% का टैक्स वसूला जाता है. साथ में वहां कि सरकार कुछ शर्तों के साथ 12,550 डॉलर यानी 10.45 लाख की टैक्स छूट भी देती है.
भारत में फिलहाल विरासत पर कोई टैक्स नहीं लगता है. विरासत या संपदा कर को 1985 में समाप्त कर दिया गया था. जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उनकी संपत्तियां उनके कानूनी उत्तराधिकारियों को हस्तांतरित कर दी जाती हैं, जिनमें आम तौर पर बच्चे, पोते-पोतियां या वार्ड शामिल होते हैं.
अगर कानून के पहलुओं पर गौर किया जाए तो जब विरासत में मिली संपत्ति उत्तराधिकारियों द्वारा बेची जाती है, तो उन पर किसी प्रकार का कर लग सकता है. विरासत में मिली संपत्तियों से उत्पन्न कोई भी आय, जैसे कि ब्याज, लाभांश, या किराये की आय, आम तौर पर आयकर के अधीन होती है. आयकर की दर आय की प्रकृति और विभिन्न प्रकार की संपत्तियों पर लागू कर कानूनों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं.
जानकारों की मानें तो यह सुझाव दिया गया है कि विरासत कर एक विकासशील देश के लिए एक अच्छा विचार नहीं है. देश में अभी तक, कोई विरासत कर नहीं है. इसके बजाय, हमारे पास पूंजीगत लाभ कर है जो पूंजीगत संपत्ति बेचने पर लागू होता है. कोविड के दौरान, एक सुझाव था कि सरकार को संपत्ति कर लगाना चाहिए, लेकिन प्रस्ताव को भारी आलोचना का सामना करना पड़ा.