Sandeshkhali Violence: सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में संदेशखाली घटना से संबंधित मामले पर सोमवार को सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने लोकसभा विशेषाधिकार समिति द्वारा राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों को बुलाए जाने पर रोक लगा दिया है. अदालत ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई के बाद ये फैसला दिया है. अदालत ने लोकसभा सचिवालय और अन्य को इस मामले में नोटिस जारी किया है.
लोकसभा विशेषाधिकार समिति के नोटिस पर पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. इस मामले में अदालत ने याचिका पर सरकार ने तत्काल सुनवाई की मांग की थी. इस मामले में उच्चतम न्यायालय में सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने पश्चिम बंगाल सरकार का पक्ष रखा. हालांकि संसद की आचार समिति ने एक शिकायत पर पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक सहित वरिष्ठ अधिकारियों को नोटिस जारी किया है.
राजनीतिक गतिविधियां विशेषाधिकार का हिस्सा नहीं
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, “राजनीतिक गतिविधियां विशेषाधिकार का हिस्सा नहीं हो सकती हैं.” सुप्रीम कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया है. इससे पहले मुख्य सचिव बी.पी. गोपालिका और डीजीपी राजीव कुमार ने विशेषाधिकार समिति के समक्ष पेश नहीं पेश होने का फैसला किया है.
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राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा, “मैं चाहती हूं कि पीड़ित मुझसे बात करें, राष्ट्रीय महिला आयोग उनके साथ खड़ा है. हम पीड़ितों की हर शिकायत पर कार्रवाई करेंगे. पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती, उल्टे पीड़ित के रिश्तेदारों को ही गिरफ्तार करती है. यह स्थिति सिर्फ संदेशखाली की नहीं बल्कि पूरे राज्य की है.’
रेखा शर्मा ने कहा कि मैं यह रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपूंगी और वे आगे की कार्रवाई करेंगी. शेख शाहजहां की गिरफ्तारी नहीं होने से महिलाएं डरी हुई हैं, हमें शेख शाहजहां की गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाने की जरूरत है.