Patanjali Case: पतंजलि और अन्य कंपनियों से जुड़े भ्रामक विज्ञापन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है. शीर्ष न्यायालय ने विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए शर्तें लागू की हैं. इसके साथ ही पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को इस मामले में बड़ा झटका भी लगा है. कोर्ट ने अगली सुनवाई में व्यक्तिगत पेशी से छूट की मांग को खारिज कर दिया है.
कोर्ट ने यह तय कर दिया है कि अब किसी विज्ञापन को मीडिया में प्रसारित या प्रकाशित करने से पहले विज्ञापनदाता को एक सेल्फ डिक्लेरेशन देना होगा. विज्ञापनदाता अगर ऐसा नहीं करते हैं तो कोई भी विज्ञापन प्रकाशित और प्रसारित नहीं होगा. वहीं चैनलों को प्रसारण सेवा पर सेल्फ डिक्लेरेशन प्रसारित करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय से FSSAI की ओर से प्राप्त शिकायतों पर की गई कार्रवाई का डेटा भी मांगा है.
‘लाइसेंस निलंबित उत्पाद की ब्रिक्री पर रोक’
पतंजली के भ्रामक विज्ञापन से जुडे मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि पतंजलि के जिन उत्पादों के संबंध में लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है, उसकी बिक्री नहीं होनी चाहिए. अगर लाइसेंस निलंबित है तो उत्पाद नहीं बेचा जाना चाहिए. हमें नोटिस देना होगा. उधर, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की व्यक्तिगत पेशी से छूट देने की मांग को खारिज करते हुए जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि हमने सिर्फ आज के लिए पेशी से छूट दी थी. कृपया आगे छूट के लिए अनुरोध न करें. कोर्ट ने आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के अध्यक्ष को भी नोटिस दिया है.
14 मई को होगी मामले की अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई में व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का निर्देश दिया है. 14 मई तक जवाब दाखिल करने का समय दिया है. ये नोटिस सुप्रीम कोर्ट पर कथित टिप्पणी करने के मामले में भेजा गया है. इसमें अगली सुनवाई में व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 14 मई को होगी.