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Singur Movement: जब ममता बनर्जी बन गई थीं Ratan Tata के ड्रीम प्रोजेक्ट की राह में रोड़ा

Ratan Tata

ममता बनर्जी और रतन टाटा

Ratan Tata: भारतीय उद्योग जगत के दिग्गज रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया. मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती रतन टाटा ने बुधवार रात को आखिरी सांस ली. उनकी इस दुखद विदाई पर देशभर के नेताओं और उद्योग जगत के लोगों ने शोक व्यक्त किया. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया. ममता बनर्जी की ये श्रद्धांजलि इसलिए भी सुर्खियों में है क्योंकि सालों पहले ममता बनर्जी के सिंगूर आंदोलन से रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट अधूरा रह गया था.

ममता बनर्जी ने X पर पोस्ट में लिखा, “टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा के निधन से दुखी हूं. वे भारतीय उद्योगों के अग्रणी नेता और सार्वजनिक-उत्साही परोपकारी व्यक्ति थे. उनका निधन भारतीय व्यापार जगत और समाज के लिए अपूरणीय क्षति है.” उन्होंने रतन टाटा के परिवार और सहकर्मियों के प्रति अपनी संवेदनाएं भी व्यक्त कीं.

रतन टाटा और ममता बनर्जी का सिंगूर आंदोलन

हालाँकि आज ममता बनर्जी रतन टाटा के निधन पर शोक व्यक्त कर रही हैं, लेकिन कुछ साल पहले तक दोनों के बीच संबंध काफी तनावपूर्ण थे. साल 2006 में जब टाटा समूह ने पश्चिम बंगाल के सिंगूर में अपनी नैनो कार निर्माण प्लांट स्थापित करने का फैसला किया था, तब ममता बनर्जी ने इसका विरोध किया था. उस समय पश्चिम बंगाल की सरकार ने 1,000 एकड़ भूमि टाटा समूह को सौंपने की योजना बनाई थी, जिससे राज्य में इंडस्ट्रीलाइजेशन को गति मिल सके.

इस जमीन अधिग्रहण के खिलाफ ममता बनर्जी ने किसानों के हक की आवाज उठाई और आंदोलन का नेतृत्व किया. उन्होंने किसानों की जमीन लौटाने की मांग की और इस विरोध प्रदर्शन के दौरान उन्होंने 26 दिनों की भूख हड़ताल भी की. ममता बनर्जी का यह आंदोलन न केवल टाटा ग्रुप की नैनो परियोजना को राज्य से बाहर ले जाने का कारण बना, बल्कि इसने उनके राजनीतिक करियर को भी एक नई दिशा दी. यह आंदोलन वामपंथी शासन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जिसने पश्चिम बंगाल की राजनीति को बदल कर रख दिया और ममता बनर्जी को सत्ता में आने में मदद की.

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आंदेलन का टाटा पर प्रभाव

सिंगूर में नैनो परियोजना के खिलाफ ममता बनर्जी के आंदोलन ने इतना जोर पकड़ा कि रतन टाटा को राज्य से अपने प्लांट को हटाना पड़ा. 3 अक्टूबर 2008 को टाटा मोटर्स ने यह घोषणा की कि वे नैनो कार प्लांट को पश्चिम बंगाल से हटाकर गुजरात के साणंद में स्थापित करेंगे. इस कदम के बाद रतन टाटा ने एक प्रेस कोन्फ्रेन्स में कहा, “यह बेहद दर्दनाक फैसला था, लेकिन इसके अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं था.” उन्होंने स्पष्ट किया कि सिंगूर आंदोलन के चलते वे इस निर्णय पर पहुंचे थे.

रतन टाटा ने इस स्थिति पर दुख जताते हुए कहा था, “आप पुलिस सुरक्षा के साथ एक प्लांट नहीं चला सकते. हम टूटी दीवारों के साथ प्लांट नहीं चला सकते. हम लोगों को डरा-धमका कर कोई प्लांट नहीं चला सकते.” यह बयान उस समय के राजनीतिक माहौल और आंदोलन की तीव्रता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है. साल 2023 में टाटा मोटर्स को सिंगूर मामले में 766 करोड़ रुपये की भरपाई मिली थी.

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