Electoral Bond: इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा सार्वजनिक होने के बाद सियासी दलों की अलग-अलग सफाई आ रही है. ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने देनदारों को लेकर बिल्कुल ही विचित्र तरीके की बातें कही है.
टीएमसी ने कहा कि हमारे ऑफिस में सीलबंद इलेक्टोरल बॉन्ड रख दिए, जिसका हमें कुछ नहीं पता. वहीं, जेडीयू ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया है. आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने रविवार, 17 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड का फ्रेश डेटा जारी किया, जिसमें 12 अप्रैल 2019 से पहले की अवधि की डिटेल दी गई है.
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जेडीयू ने अप्रैल 2019 में चुनावी बॉन्ड से प्राप्त 13 करोड़ रुपये में से 3 करोड़ रुपये के दानदाताओं की पहचान का खुलासा किया, लेकिन टीएमसी ने यह नहीं बताया है कि 16 जुलाई 2018 से 22 मई 2019 के बीच उसे इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये करीब 75 करोड़ रुपये का दान किसने दिया था.
क्या कहा तृणमूल कांग्रेस ने?
तृणमूल कांग्रेस ने 27 मई, 2019 को चुनाव आयोग को सौंपे आवेदन में कहा था- “इनमें से अधिकांश बॉन्ड गुमनाम रूप से हमारे कार्यालय में भेजे गए थे. कोई ड्रॉप बॉक्स में डाल गया तो कोई ऑफिस में ऐसे ही छोड़ गया, जिससे उनके लिए खरीददारों के नाम और विवरण सुनिश्चित करना असंभव हो गया है.”
चुनाव आयोग के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार-
- बीजेपी ने कुल 6,986.5 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉण्ड भुनाए. इसमें पार्टी को 2019-20 में सबसे ज्यादा 2,555 करोड़ रुपये मिले.
- कांग्रेस पार्टी ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कुल 1,334.35 करोड़ रुपये भुनाए.
- BJD ने 944.5 करोड़ रुपये
- वाईएसआर कांग्रेस (YSRCP) ने 442.8 करोड़ रुपये
- तेदेपा (TDP) ने 181.35 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड भुनाए
- इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से तृणमूल कांग्रेस को 1,397 करोड़ रुपये मिले
- BRS ने 1,322 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड भुनाए
- सपा को चुनावी बॉन्ड के जरिए 14.05 करोड़ रुपये
- अकाली दल को 7.26 करोड़ रुपये
- अन्नाद्रमुक को 6.05 करोड़ रुपये
- नेशनल कॉन्फ्रेंस को 50 लाख रुपये मिले
मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कहा है कि उसे इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कोई चंदा नहीं मिला है. इसके साथ ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) या सीपीआई (एम) ने कहा कि उसे भी इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से चंदा नहीं मिला.