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Supreme Court: ‘जिन्हें आरक्षण का फायदा मिल चुका, उन्हें बाहर निकलना चाहिए, जिससे अधिक पिछड़ों को मिले मौका’- सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट (फोटो- सोशल मीडिया)

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि आरक्षण से पिछड़ी जातियों से जो लोग उसके हकदार थे और उन्हें उसका लाभ मिल चुका है, उन्हें अब इससे बाहर हो जाना चाहिए. अदालत ने कहा कि अगर वो ऐसा फैसला करते हैं तो इससे और अधिक पिछड़े हुए लोगों को फायदा मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट में 7 जजों की संविधान पीठ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान ये बातें कही हैं.

दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय ‘क्या ई वी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य’ से जुड़े एक मामले में सुनवाई कर रहा है. इस मामले में सुनवाई का संदर्भ है कि क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दोबारा गौर करने की जरूरत है. इस मामले में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 7 जजों की बेंच सुनवाई कर रही है.

सीजेआई के नेतृत्व वाली सात जजों की बेंच में जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा शामिल हैं.

क्या है मामला?

‘क्या राज्य सरकारों को शिक्षण संस्थानों में एडमिशन और नौकरियों में आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में सब-डिवीजन का अधिकार है’ से जुड़े मामले पर सुनवाई हो रही है. अदालत ने पहले ही दिन कह दिया है कि कोर्ट 2004 के अपने फैसले की वैधता की फिर से समीक्षा करेगा. जिसमें राज्य सरकारों को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में सब-डिवीजन का अधिकार नहीं दिया गया है.

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पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह की दलीलों का जस्टिस विक्रम नाथ ने सारांश बताते हुए कहा, ‘उनको बाहर क्यों नहीं निकालना चाहिए? आपके अनुसार आरक्षण के अंतर्गत आने वाली कुछ उपजातियों ने बेहतर किया है. वे उस श्रेणी में आगे हैं. अब उन्हें उसे बाहर आकर सामान्य वर्ग का मुकाबला करना चाहिए. लेकिन वो वहां क्यों हैं?’

जस्टिस विक्रम नाथ ने आगे कहा, ‘जो पिछड़े में अभी भी पिछड़े हुए हैं, उन्हें आरक्षण मिलते रहना चाहिए. जब आपको एक बार आरक्षण का फायदा मिल गया तो आपको उस आरक्षण से बाहर निकल जाना चाहिए. ‘ इससे पहले पंजाब के एडवोकेट जनरल ने कहा, ‘यदि उद्देश्य और लक्ष्य प्राप्त हो जाता है तो जिसके लिए इसे लागू किया गया था वह खत्म हो जाना चाहिए.’

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