सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को एक अहम फैसले में चुनावों में बैलेट पेपर के इस्तेमाल की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता केए पॉल ने यह याचिका दायर की थी, जिसमें उनका कहना था कि चुनाव में बैलेट पेपर से वोटिंग की जाए और EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) का इस्तेमाल बंद किया जाए. पॉल का यह भी दावा था कि अगर किसी उम्मीदवार को चुनाव के दौरान पैसे, शराब या अन्य तरीकों से वोटरों को प्रभावित करते हुए पाया जाए, तो उसे पांच साल तक अयोग्य घोषित किया जाए.
जस्टिस विक्रम नाथ और पीबी वराले की बेंच ने इस पर सुनवाई करते हुए कहा, “जब आप चुनाव जीतते हैं, तो ईवीएम से छेड़छाड़ की बात नहीं होती, लेकिन जब आप हारते हैं, तो ईवीएम पर आरोप लगाए जाते हैं.” कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि अगर बैलेट पेपर पर लौटने का प्रस्ताव मान लिया जाए, तो क्या इससे भ्रष्टाचार की समस्या हल हो जाएगी?
ईवीएम पर आरोप
केए पॉल ने इस दौरान यह भी कहा कि कई देशों में बैलेट पेपर से वोटिंग होती है, और भारत को भी इसे अपनाना चाहिए. इस पर कोर्ट ने सवाल किया, “आप दुनिया से अलग क्यों नहीं रहना चाहते?” याचिकाकर्ता ने दावा किया कि भ्रष्टाचार के कारण ईवीएम से छेड़छाड़ हो सकती है और इस साल चुनाव आयोग ने 9,000 करोड़ रुपये की रकम सीज की थी. हालांकि, कोर्ट ने यह सवाल किया कि इससे क्या राहत मिलेगी और बैलेट पेपर के उपयोग से भ्रष्टाचार पर कोई असर पड़ेगा?
नेताओं के आरोपों पर भी सवाल
याचिका दायर करने वाले केए पॉल ने यह भी दावा किया कि एलन मस्क ने कहा है कि ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है. इसके अलावा, उन्होंने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और वाईएस जगन मोहन रेड्डी का नाम लिया, जिन्होंने अपनी हार के बाद ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “जब चंद्रबाबू नायडू चुनाव हारते हैं, तो वे ईवीएम पर आरोप लगाते हैं, और अब जब जगन मोहन रेड्डी हारते हैं, तो वही आरोप लगाते हैं.”
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बैलेट पेपर के इस्तेमाल से भ्रष्टाचार की समस्या का समाधान नहीं- SC
सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए यह स्पष्ट किया कि बैलेट पेपर के इस्तेमाल से भ्रष्टाचार की समस्या का समाधान नहीं होगा. कोर्ट ने यह भी कहा कि चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल पूरी तरह से सुरक्षित और विश्वसनीय है, और बैलेट पेपर पर लौटने से कुछ नहीं बदलेगा.
इस फैसले के बाद, कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि वह राजनीति के बजाय अपने सामाजिक कार्यों पर ध्यान क्यों नहीं दे रहे, जब उन्होंने खुद बताया कि वह एक संगठन के अध्यक्ष हैं, जो लाखों अनाथों और विधवाओं की मदद कर रहा है. इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर से चुनाव की मांग को खारिज कर दिया और ईवीएम के उपयोग को पूरी तरह से सही ठहराया.