CJI DY Chandrachud: सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने सोमवार को यूपी के रामपुर में स्थित मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय की जमीन संबंधित लीज रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी. इस मामले की सुनवाई करते हुए CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा. इससे पहले हाई कोर्ट ने यूपी सरकार द्वारा भूमि लीज रद्द किए जाने के खिलाफ मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की कार्यकारी समिति की याचिका खारिज कर दी थी.
बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने लीज की शर्तों के उल्लंघन का हवाला देते हुए ट्रस्ट को आवंटित 3.24 एकड़ जमीन का पट्टा रद्द कर दिया था. सरकार का कहना है कि यह भूमि मूल रूप से एक शोध संस्थान के लिए आवंटित की गई थी, लेकिन वहां एक स्कूल चलाया जा रहा था.
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कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या हुआ?
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रस्ट कि अपील रिजेक्ट करते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “जजमेंट पढ़ते समय ऐसा लगता होता है कि आपका मुवक्किल वास्तव में शहरी विकास मंत्रालय का प्रभारी कैबिनेट मंत्री था और वह अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री था. उसने जमीन एक पारिवारिक ट्रस्ट को आवंटित करवाई, जिसके वह आजीवन अध्यक्ष है और शुरू में लीज एक सरकारी संस्था के पक्ष में थी. जिसको एक निजी ट्रस्ट से जोड़ दिया गया. एक सरकारी संस्था के लिए जो लीज थी, उसे एक निजी ट्रस्ट को कैसे दिया जा सकता है?” बेंच ने आगे कहा, “हमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के 18 मार्च 2024 के फैसले और आदेश में कोई कमी नहीं दिखती. स्पेशल लीव पिटीशन डिस्मिस की जाती है.”
सुप्रीम कोर्ट ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल की दलीलों का संज्ञान लिया और यूपी सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कि किसी भी बच्चे को उपयुक्त शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश से वंचित न किया जाए.
बिना वजह बताए पट्टे को रद्द किया गया
कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि 2023 में पट्टे को रद्द करने का निर्णय बिना कोई वजह बताए लिया गया था. उन्होंने कहा, “अगर उन्होंने मुझे नोटिस जारी किया होता और कारण बताए होते, तो मैं इसका जवाब दे सकता था. क्योंकि, आखिरी में ये मामला कैबिनेट के पास गया था. तत्कालीन मुख्यमंत्री ने भूमि आवंटन के मुद्दे पर निर्णय लिया था. ऐसा नहीं है कि मैंने कोई निर्णय लिया,”
यह पद के दुरुपयोग का क्लीयर केस है-CJI
कपिल सिब्बल की दलीलों पर भी पीठ ने नरमी नहीं दिखाई. CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ” यह पद के दुरुपयोग का क्लीयर केस है… दरअसल, शुरू में जब मैंने पढ़ना शुरू किया तो मैंने कहा, ठीक है, नोटिस देखिए, क्या आपको मौका दिया गया था? लेकिन जब आपने ये तथ्य पढ़े, तो और क्या…”