VVPAT-EVM: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों की VVPAT से 100 फीसदी मिलान की मांग वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं. हालांकि, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने चुनाव आयोग को दो निर्देश दिए हैं. पहले निर्देश में यह कहा गया है कि सिंबल लोडिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद, सिंबल लोडिंग यूनिट (SLU) को सील कर दिया जाना चाहिए और उन्हें कम से कम 45 दिनों के लिए रखा जाना चाहिए.
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— Vistaar News (@VistaarNews) April 26, 2024
अदालत ने क्या-क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “सिस्टम पर आंख मूंदकर संदेह करना सही नहीं है. इसलिए हमारे अनुसार सार्थक आलोचना की आवश्यकता है, चाहे वह न्यायपालिका हो, विधायिका हो. लोकतंत्र का अर्थ सभी स्तंभों के बीच सद्भाव और विश्वास बनाए रखना है. विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देकर हम अपने लोकतंत्र की आवाज को मजबूत कर सकते हैं.
किस आधार पर SC ने लिया फैसला?
फैसलों के निष्कर्ष का हवाला देते हुए जस्टिस खन्ना ने कोर्ट में कहा कि बैलेट पेपर से मतदान को वापस लाने, ईवीएम-वीवीपैट सत्यापन पूरा करने, मतदाताओं को वीवीपैट पर्चियां बैलेट बॉक्स में डालने के लिए देने की प्रार्थनाएं खारिज कर दी गई हैं. न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, “हमने मौजूदा प्रोटोकॉल, तकनीकी पहलुओं और रिकॉर्ड में मौजूद डेटा का हवाला देते हुए उन सभी को खारिज कर दिया है.”
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखते हुए बुधवार को कहा था कि वह चुनावों के लिए नियंत्रक प्राधिकारी नहीं है और एक संवैधानिक प्राधिकार, भारत के चुनाव आयोग के कामकाज को निर्देशित नहीं कर सकता है. हम चुनाव में दखल नहीं दे सकते.
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वीवीपैट क्या है?
देश में वोटों को रिकॉर्ड करने के लिए साल 2000 से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का उपयोग कर रहा है. EVM एक वीवीपीएटी यूनिट इकाई से जुड़ी होती है जो एक पेपर पर्ची बनाती है जो मतदाता को स्क्रीन के माध्यम से लगभग सात सेकंड के लिए दिखाई देती है. इसके बाद यह एक सीलबंद ड्रॉप बॉक्स में स्टोर किया जाता है. बुधवार को शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह “चुनावों को नियंत्रित नहीं कर सकती” या केवल इसलिए निर्देश जारी नहीं कर सकती क्योंकि ईवीएम की प्रभावकारिता के बारे में संदेह उठाया गया है.