Supreme Court: बुलडोजर एक्शन को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि सार्वजनिक जगहों पर बने मंदिर या मस्जिद या सड़क के बीच में बनी कोई भी धार्मिक संरचना लोगों के जीवन में बाधा नहीं बन सकती है. कोर्ट ने साफ कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है और बुलडोजर एक्शन और अतिक्रमण विरोधी अभियान के लिए उसके निर्देश सभी लोगों के लिए होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म को मानते हो. इस मामले पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि कोई भी शख्स आरोपी या दोषी है तो यह डेमोलिशन का आधार नहीं हो सकता है. जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि अगर 2 अवैध ढांचे हैं और आप किसी अपराध के आरोप को आधार बना कर उनमें से सिर्फ 1 को गिराते हैं तो सवाल उठेंगे ही. इतना ही नहीं इस दौरान एक ऐसा भी मौका आया जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वकील अभिषेक मनु सिंघवी से मजाकिया लहजे में एक बात कही.
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“गरीब अभिषेक मनु को फीस कैसे दे पा रहा है”
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बुलडोजर एक्शन की याचिकाओं की जब सुनवाई हो रही थी तो उसी समय एक याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी अपनी दलीलें रखने के लिए पेश हुए. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चुटकी लेते हुए कहा कि गरीब याचिकाकर्ता वकील सिघंवी की फीस कैसे दे पा रहा है. इस अभिषेक मनु सिंघवी ने जवाब भी दिया. उन्होंने कहा कि हम वकील कभी-कभी फ्री में भी पेश होते हैं. इसके तुरंत बाद बीआर गवई ने कहा कि हम आगे की बात करें. साथ ही यह भी कहा कि अब यह देखते हैं कि आदेश का क्या रिजल्ट निकलेगा.
बुलडोजर एक्शन पर कोर्ट ने उठाया सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर एफआईआर दर्ज हो जाए तो कोई शख्स आरोपी है या दोषी, यह बुलडोजर एक्शन का आधार नहीं हो सकता है. इतना ही नहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि अवैध निर्माण साबित होने पर वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए कुछ वक्त दिया जाना चाहिए. महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना सही नहीं है. कोर्ट ने एक ऑनलाइन पोर्टल बनाने का भी सुझाव दिया. सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर साफ किया कि बुलडोजर एक्शन पर रोक तो रहेगी, लेकिन इसमें अवैध अतिक्रमण शामिल नहीं होगा.