West Bengal Bifurcation Demand: भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के विभाजन की बात करके राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. मजूमदार का कहना है कि उन्होंने पीएम मोदी से मुलाकात की है और मांग की है कि राज्य के उत्तरी हिस्सों को नॉर्थ ईस्ट में शामिल किया जाए. हालांकि, उत्तर बंगाल को अलग करने की मांग कोई नई नहीं है. पिछले साल भी उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने की मांग कर रहे अनंत महाराज को भाजपा ने राज्यसभा भेजकर अपने इरादे जाहिर किए थे.
क्या है मांग?
बता दें कि हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तर बंगाल की 8 में से 6 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की है. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तर बंगाल की 8 में से 7 सीटों पर जीत हासिल की थी. गौरतलब है कि तमाम कोशिशों के बावजूद भाजपा अभी तक पश्चिम बंगाल में अपनी पकड़ मजबूत नहीं कर पाई है और ममता बनर्जी के गढ़ में सेंध भी नहीं लगा पाई है. अब पार्टी के नेता ने राज्य के उत्तरी हिस्सों को उत्तर पूर्व में शामिल करने की मांग कर बड़ा राजनीतिक दांव चलने की कोशिश की है.
गौरतलब है कि 2021 में उत्तर बंगाल के अलीपुरद्वार से तत्कालीन भाजपा सांसद जॉन बारला ने भी उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने का मुद्दा उठाया था. उन्होंने पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्सों को अलग कर उसे अलग केंद्र शासित प्रदेश या राज्य बनाने की मांग की थी.
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TMC ने क्या कहा?
ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने सुकांत मजूमदार की इस मांग पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. टीएमसी ने भाजपा नेता पर अलगाववादी होने का आरोप लगाया है. टीएमसी ने इसे पश्चिम बंगाल के खिलाफ भाजपा की नापाक साजिश भी बताया है. टीएमसी ने भाजपा पर पश्चिम बंगाल को बांटने की नापाक साजिश रचने का भी आरोप लगाया है. पार्टी को 2011 से अब तक हुए सभी विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है. यहां तक कि लोकसभा चुनाव में भी पार्टी टीएमसी के सामने कहीं नहीं टिक पा रही है, ऐसा नेताओं ने दावा किया है.
भाजपा को क्या फायदा होगा?
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तर बंगाल की 8 लोकसभा सीटों में से 7 पर जीत दर्ज की थी. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी कुल 6 सीटें जीतने में सफल रही. इससे साफ पता चलता है कि उत्तर बंगाल भाजपा का गढ़ बन चुका है . अगर यह क्षेत्र अलग राज्य बनता है तो यहां भाजपा की सरकार बनने की संभावना है. इस तरह पूरा बंगाल नहीं तो कम से कम आधा बंगाल भाजपा के शासन में आ जाएगा. वहीं उत्तर बंगाल के आह्वान के बाद दक्षिण बंगाल में रार बंगाल आंदोलन के नाम से एक और आंदोलन जोर पकड़ने की उम्मीद है.
दक्षिण बंगाल के आदिवासी अपने लिए अलग राज्य की मांग कर रहे हैं और उनके लिए भाजपा की मांग उम्मीद की किरण बनकर आई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भाजपा सांसद सौमित्र खान ने रार बंगाल को अलग राज्य बनाने की मांग की थी, लेकिन बाद में भाजपा और खान दोनों ही पीछे हट गए. हालांकि, अब जब अलग उत्तर बंगाल राज्य की मांग की जा रही है, तो दक्षिण बंगाल में भी रार बंगाल की मांग तेज होगी.
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लोगों को क्या फायदा होगा?
अगर उत्तर बंगाल को पूर्वोत्तर में शामिल किया जाता है, तो उसे केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ मिलेगा और तेज गति से विकास होगा. मजूमदार के मुताबिक, “मुझे नहीं लगता कि राज्य सरकार इस प्रस्ताव पर आपत्ति करेगी.” उत्तर बंगाल में भाजपा एक बड़ी राजनीतिक ताकत बन गई है.
क्या है उत्तर बंगाल ?
पश्चिम बंगाल में बहने वाली गंगा नदी को हुगली कहा जाता है और इस नदी के उत्तर में स्थित जिले दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, मालदा, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, अलीपुरद्वार और कलिम्पोंग मिलकर उत्तर बंगाल बनाते हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नज़र डालें तो दार्जिलिंग, मालदा उत्तर, बालुरघाट, रायगंज, अलीपुरद्वार और जलपाईगुड़ी में बीजेपी को जीत मिली है. ये सभी सीटें उत्तर बंगाल में आती हैं. सुकांत मजूमदार खुद भी उत्तर बंगाल की बालुरघाट सीट से लोकसभा सांसद हैं.