CAA से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है. लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने से पहले ही मोदी सरकार ने देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू कर दिया है. इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है. इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कहा था कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लागू करने के नियम आगामी लोकसभा चुनाव से पहले जारी किए जाएंगे और लाभार्थियों को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी. पीएम मोदी ने भी कई बार इस संबंध में बयान दिया है.
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— Vistaar News (@VistaarNews) March 11, 2024
पांच साल पहले लगी मुहर, लेकिन अब तक लागू नहीं हुआ CAA
बता दें कि इस कानून पर पांच साल पहले मुहर लग चुकी है, लेकिन अभी तक लागू नहीं हो पाया है. मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों ने ज्यादा आपत्ति दिखाई और कड़ा रुख भी देखने को मिला था. मुस्लिम पक्षों ने इसका जमकर विरोध किया. देश में कई महीनों तक प्रदर्शन होता रहा. इस कानून में हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाने की बात की गई है. इससे भारतीय मुस्लिमानों को कोई परेशानी नहीं होगी.
बावजूद इसके इस तरह का भ्रम फैलाया जा रहा है कि ये कानून मुस्लिम विरोधी है. भारतीय मुस्लमानों को ये डर दिखाकर भरमाया जा रहा है कि इस कानून से उनकी नागरिकता भी खतरे में पड़ सकती है. इस मामले में पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह समेत सरकार के तमाम मंत्री बयान दे चुके हैं कि ये कानून शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए है. इसमें किसी की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है. किसी भी भारतीय मुस्लिम अथवा नागरिक को इससे घबराने की कोई जरूरत नहीं है.
क्या है CAA?
नागरिकता संशोधन अधिनियम, जिसे आमतौर पर CAA कहा जाता है. मोदी सरकार ने इसे 5 साल पहले सदन में पेश किया था. इस अधिनियम का उद्देश्य उन प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करना है – जिनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शामिल हैं. इस कानून के माध्यम से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों से आने वाले हिंदू शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी. जब मोदी सरकार ने इस बिल को सदन में पेश किया था तो देश भर में खूब हंगामा हुआ था.
कैसे होगा नागरिकता के लिए आवेदन?
सीएए के तहत नागरिकता पाने का आवेदन ऑनलाइन ही करना होगा. इसे लेकर एक ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया गया है. आवेदकों को नागरिकता पाने के लिए अपना वह साल बताना होगा जब वो भारत में आए थे. आवेदक से किसी तरह का कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा. नागरिकता से जुड़े जितने भी मामले लंबित उन सबको ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिया जाएगा. आवेदन करने के बाद गृह मंत्रालय आवेदन की जांच करेगा और आवेदक को नागरिकता दी जाएगी.