Health: इधर के कुछ सालों में IVF से बच्चों का जन्म होना नार्मल होता जा रहा है. IVF ट्रीटमेंट को लेकर बहुत से लोगों के मन में बहुत सारी आशंकाएं होती हैं. ज्यादातर लोगों को यह लगता है कि IVF ट्रीटमेंट के द्वारा होने वाले बच्चे उतने स्वस्थ नहीं होते जितने नार्मल डेलिवरी वाले बच्चे होते हैं. उन्हें ऐसा लगता है जो बच्चे IVF से जन्म लेते हैं वह नॉर्मल डिलीवरी वाले बच्चों की तरह नहीं होते हैं. लेकिनक्या लोगों की ये सोच सही है या फिर गलत? आज इसे जानते हैं.
इधर के कुछ सालों में IVF से बच्चों का जन्म होना नार्मल होता जा रहा है. IVF ट्रीटमेंट को लेकर बहुत से लोगों के मन में बहुत सारी आशंकाएं होती हैं. ज्यादातर लोगों को यह लगता है कि IVF ट्रीटमेंट के द्वारा होने वाले बच्चे उतने स्वस्थ नहीं होते जितने नार्मल डेलिवरी वाले बच्चे होते हैं. उन्हें ऐसा लगता है जो बच्चे IVF से जन्म लेते हैं वह नॉर्मल डिलीवरी वाले बच्चों की तरह नहीं होते हैं. लेकिनक्या लोगों की ये सोच सही है या फिर गलत? आज इसे जानते हैं.
सबसे पहले आपको यह बता दें कि IVF एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके कारण बांझपन को दूर किया जा सकता है. यानी जो महिलाएं नेचुरल रूप से बच्चों को जन्म देने में असमर्थ होती हैं वह इस प्रोसेस का इस्तेमाल कर मां बन सकती है. उन्हें इस IVF ट्रीटमेंट के द्वारा संतान सुख मिलता है.
IVF ट्रीटमेंट को बांझपन दूर करने का एक वरदान जैसा माना जाता है. क्योंकि IVF ट्रीटमेंट के द्वारा निःसंतान दंपतियों के घर में किलकारियां गूंज उठी हैं और उनके भी सूनेआंगन में बच्चों के हंसने-रोने की आवाजें सुनाई देती है.
लैब में एग होता है फर्टिलाइज
IVF ट्रीटमेंट एक सामान्य प्रक्रिया नहीं होती जिस कारण लोगों के बीच इसे लेकर कई सवाल होते हैं. इस प्रोसेस के द्वारा पहले एग को लैब में फर्टिलाइज किया जाता है. इसके बाद 2 से लेकर 5 दिनों के बाद उसको गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है. लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि एग लैब में तैयार हो रहा है या गर्भ में बच्चा स्वस्थ रहता है.
इस भ्रूण का विकास मां के गर्भ में ही पूरी तरह से नार्मल तरीके से होता है. इसमें नॉर्मल प्रगनेंसी के द्वारा ही बच्चे का जन्म होता है. IVF में बच्चे का जन्म पूरी तरीके से नेचुरल ही होता है इसलिए मन से यह गलत धारणा निकाल देनी चाहिए की IVF प्रोसेस वाले बच्चें स्वस्थ नहीं होते.
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सिजेरियन संभावना कम
IVF ट्रीटमेंट में केवल भ्रूण को ही बाहर लैब में तैयार किया जाता है उसका विकास ठीक उसी प्रकार से नॉर्मली मां के गर्भाशय में ही होता है. जैसा कि एक सामान्य प्रग्नैंसी में मां के गर्भ में भ्रूण का विकास होता है. इसलिए इसमें से सिजेरियन की इतनी अधिक संभावना नहीं होती है जितनी कि नॉर्मल प्रेगनेंसी में होती है.
सामान्य प्रेगनेंसी में गर्भपात की जितनी संभावना होती है ठीक उतनी ही IVF ट्रीटमेंट लेने वाली महिलाओं के साथ भी होती है. क्योंकि जो महिलाएं प्राकृतिक रुप से गर्भ धारण करती हैं उन्हें 10% गर्भपात की संभावना होती है और उसी प्रकार ही जो महिलाएं IVF ट्रीटमेंट से गर्भ धारण करती हैं उन्हें भी 10% ही अबॉर्शन की संभावना होती है. इसलिए यह धारणा भी नहीं रखना चाहिए कि IVF ट्रीटमेंट लेने के बाद गर्भपात की संभावना अधिक बढ़ जाती है.