Christmas 2025 Sweet History: आज 25 दिसंबर 2025 को देशभर में ईसाई धर्म के लोग बड़े धूमधाम के साथ क्रिसमस का त्योहार मना रहे हैं. इस खास मौके पर हर घर में जश्न का माहौल है. वहीं क्रिसमस के त्योहार पर केक की मांग अधिक बढ़ जाती है. इसे इस त्योहार की मुख्य मिठाई माना जाता है, जिसका आनंद बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर कोई लेता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्रिसमस और केक का यह अटूट रिश्ता कब और कैसे शुरू हुआ?
क्रिसमस केक की कहानी
आज हम जिसे ‘क्रिसमस केक’ कहते हैं, उसकी शुरुआत दरअसल दलिया और सूखे बेर से बने ‘प्लम पोरिज’ (Plum Porridge) के रूप में हुई थी. मध्यकाल में क्रिसमस का त्योहार एक महीने के लंबे समय 6 दिसंबर से 6 जनवरी तक चलता था, जब लोग सर्दियों की फुर्सत में त्योहार का आनंद लेते थे. उस समय क्रिसमस से पहले ‘एडवेंट’ (Advent) के दौरान उपवास रखने की परंपरा थी, जिसमें केवल हल्का और सादा भोजन किया जाता था. उपवास समाप्त होते ही उत्सव की शुरुआत ‘प्लम पोरिज’ के साथ होती थी. इसे बनाने के लिए जौ या जई के दलिए में सूखे बेर, शहद और कई तरह के मसालों का उपयोग किया जाता था.
यह डिश न केवल बेहद स्वादिष्ट होती थी, बल्कि कड़ाके की ठंड में शरीर को ऊर्जा और गर्माहट देने वाला एक बहुत अच्छा आहार भी मानी जाती थी.
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बेर के दलिया का रूप बदला
16वीं शताब्दी के दौरान बेर से बने पारंपरिक दलिए में बड़ा बदलाव आया. अब इसमें अंडा, आटा, मसाले और मक्खन भी मिलाया जाने लगा, जिससे इसने धीरे-धीरे केक का आकार ले लिया. उस समय के अमीर घराने के लोग इसमें ड्राईफ्रूट्स, शुगर कोटेड मिश्रण भी डालकर इसे डेकोरेट करते थे. ‘जो आगे चलकर क्रिसमस केक’ के रूप में प्रसिद्ध हो गया. वहीं 18वीं और 19वीं सदी की औद्योगिक क्रांति ने लोगों की जीवनशैली को पूरी तरह बदल दिया.
