Lok Sabha Election2024: किसी राज्य की राजधानी उसके राजनीति का केंद्र होता है. जहां राजनीतिक समीकरण बनते और बिगड़ते हैं. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल भी एमपी का केंद्र है. सत्ता पर काबिज पार्टी का उसकी राजधानी में एक-एक चुनाव जीतना नाक का सवाल होता है. जब बात लोकसभा चुनाव की हो तो बात और गंभीर हो जाती है. एमपी की सियासत की तरह भोपाल की सियासत भी दो धुरी वाली है जिसके एक ओर बीजेपी और दूसरी ओर कांग्रेस है.
भोपाल लोकसभा सीट पर लोकसभा चुनाव बीजेपी की सबसे सुरक्षित सीट में से एक है. इस सीट से वर्तमान सांसद भी बीजेपी की साध्वी प्रज्ञा हैं. इस बार बीजेपी ने भोपाल सीट से उम्मीदवार बदल दिया है. साध्वी प्रज्ञा की जगह इस बार आलोक शर्मा उम्मीदवार हैं. वहीं कांग्रेस से इस बार के उम्मीदवार अरुण श्रीवास्तव हैं.
दो जिलों की आठ विधानसभा शामिल
भोपाल लोकसभा में दो जिलों भोपाल और सीहोर की आठ विधानसभा आती हैं. इन आठ विधानसभा सीट में भोपाल जिले की सात विधानसभा सीट बैरसिया, भोपाल उत्तर, नरेला, भोपाल दक्षिण-पश्चिम, भोपाल मध्य, गोविंदपुरा, हुजूर और सीहोर जिले की सीहोर विधानसभा सीट आती है. आठ विधानसभा में से 6 विधानसभा पर बीजेपी के विधायक हैं. भोपाल उत्तर पर कांग्रेस के अतीफ आरिफ अकील और भोपाल मध्य पर कांग्रेस के आरिफ मसूद विधायक हैं.
आलोक शर्मा – भोपाल के महापौर रह चुके हैं
संपत्ति – आठ करोड़ रुपये+
आपराधिक रिकॉर्ड – चार
आलोक शर्मा बीजेपी के हिंदुत्व छवि वाले नेता हैं. पुराने भोपाल से ताल्लुक रखने वाले आलोक शर्मा राजनीति में काफी सक्रिय हैं. शर्मा साल 2015 से लेकर 2020 तक भोपाल के महापौर रह चुके हैं. इस दौरान इन्होंने नाइट कल्चर पर कड़ाई से पालन करने पर जोर दिया था जिससे शहरी क्षेत्रों में दुकानें रात 11 बजे बंद होने लगी.
साल 1994 में आलोक शर्मा पहली बार भोपाल नगर निगम में पार्षद चुने गए. साल 2008 में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के लिए आलोक शर्मा को भोपाल उत्तर से उम्मीदवार बनाया था. शर्मा इस सीट से चुनाव हार गए. भोपाल उत्तर से आरिफ अकील विधायक बने. इस चुनाव में आलोक शर्मा को 54 हजार 241 वोट मिले और आरिफ अकील को 58 हजार 267 वोट मिले. दोनों के बीच वोट का अंतर लगभग चार हजार रहा.
साल 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए फिर से बीजेपी ने भोपाल उत्तर से आलोक शर्मा को उम्मीदवार बनाया. इस बार फिर आलोक शर्मा को हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में आरिफ अकील के बेटे अतीक आरिफ अकील ने शर्मा को हराया. अतीक को 96 हजार 125 वोट मिले वहीं आलोक शर्मा को 69 हजार 138 वोट मिले. हार का अंतर का बढ़कर 26 हजार हो गया.
साल 2008 और 2023 के बीच आलोक शर्मा भोपाल के महापौर रहे. संगठन की बात करें तो बीजेपी ने उन्हें प्रदेश बीजेपी का उपाध्यक्ष बनाया है. इसके अलावा वे उज्जैन संभाग के प्रभारी भी हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शर्मा को पूर्व सीएम शिवराज सिंह का करीबी बताया जाता है.
अरुण श्रीवास्तव – राजनीति के नए चेहरे
संपत्ति – 14 करोड़ रुपये+
आपराधिक रिकॉर्ड – दो
भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस ने अरुण श्रीवास्तव को अपना उम्मीदवार बनाया है. पेशे से वकील अरुण श्रीवास्तव का ये पहला लोकसभा चुनाव है. श्रीवास्तव ने कांग्रेस के संगठन के स्तर पर काम किया है. जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण के अध्यक्ष रहे. साल 1980 में NSUI के स्टेट सेक्रेटरी रहे. 1989 में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के लीगल सेल में सचिव स्तर पर काम किया. साल 1996 में सेवादल के संगठक के पद पर रहे. साल 2000 में जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण के उपाध्यक्ष बनाए गए.
एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं. साफ-सुथरी छवि के कारण तवज्जो मिली है. अरुण श्रीवास्तव ने कांग्रेस के संगठन स्तर पर तो काम किया है लेकिन चुनाव लड़ने का अनुभव नहीं है. इससे पहले श्रीवास्तव ने ना तो विधानसभा चुनाव लड़ा है ना तो लोकसभा चुनाव लड़ा है. बीजेपी के उम्मीदवार आलोक शर्मा के मुकाबले अरुण श्रीवास्तव का अनुभव कम है.
भोपाल सीट का राजनीतिक इतिहास
पिछले 35 साल से भोपाल सीट बीजेपी के पास है. बीजेपी के सुशील चंद्र वर्मा इस सीट से सबसे ज्यादा चार बार यानी साल 1989, 1991, 1996 और 1998 में सांसद रहे. इस सीट से आखिरी बार कांग्रेस के केएन प्रधान ने साल 1984 में चुनाव जीता था. इस सीट से कई दिग्गजों ने चुनाव जीता है.
भारत के पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा इस सीट से दो बार साल 1971 और 1980 में सांसद रहे. साल 1952 से 1967 तक यानी 15 साल तक ये सीट कांग्रेस के पास रही. जगन्नाथराव जोशी पहले गैर कांग्रेसी सांसद बीजेपी के टिकट से साल 1967 में बने.
दिग्गजों की बात करें तो मैमूना सुल्तान दो बार यानी 1957 और 1962 में सांसद बनीं. भोपाल के शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाली मैमूना को भोपाल की पहली महिला सांसद होने का गौरव हासिल है. आरिफ बेग जनता पार्टी के टिकट से साल 1977 में सांसद बनें. आरिफ बेग ने पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा और मशहूर हॉकी खिलाड़ी असलम शेर खान को हराया था. बीजेपी की टिकट से उमा भारती साल 1999 में और कैलाश जोशी दो बार यानी साल 2004 और 2009 में सांसद रहे.
आमचुनाव 2019 का मुकाबला
साल 2019 में बीजेपी ने साध्वी प्रज्ञा को अपना उम्मीदवार बनाया था. कांग्रेस ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा था. इस चुनाव में साध्वी प्रज्ञा को 8 लाख, 66 हजार, 482 वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस के दिग्विजय सिंह को 5 लाख, एक हजार, 660 वोट मिले. दोनों के बीच जीत का अंतर 3 लाख, 64 हजार, 822 रहा और साध्वी प्रज्ञा भोपाल की सांसद बनीं.
(source: ECI, myneta.info, ADR)