Lok Sabha Election 2024: ‘मुस्लिम लीग के साथ नेहरू ने बनाई थी सरकार’, सुधांशु त्रिवेदी का कांग्रेस को जवाब

Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बीजेपी को मुस्लिम लीग का पुराना साथी बताया है. जिसके बाद पार्टी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इतिहास का जिक्र करते हुए कांग्रेस को जवाब दिया है.
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बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी

Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बीजेपी को मुस्लिम लीग का पुराना साथी बताया है. जिसके बाद पार्टी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि ये वही मुस्लिम लीग है जो जिन्ना के समय थी और 1946 में पंडित जवाहर लाल नेहरू की अंतरिम सरकार में मुस्लिम लीग को शामिल किया गया. पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली को नेहरू की सरकार में फाइनेंस मिनिस्टर बनाया गया. उन्होंने कहा कि केरल में कांग्रेस का सबसे बड़ा सपोर्टर मुस्लिम लीग ही है और ये वही है जो मोहम्मद अली जिन्ना के समय थी.

लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी ने सोमवार (7 अप्रैल) को अपना घोषणापत्र जारी किया, जिसमें 5 न्याय, 5 गारंटी का जिक्र किया गया. घोषणापत्र को लेकर बीजेपी ने कहा कि इसमें मुस्लिम लीग की छाप नजर आ रही है. इस पर कांग्रेस ने चुनाव आयोग से शिकायत कर दी. मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि मुस्लिम लीग का जो नाम लिया जा रहा है, उससे पोलराइजेशन हो रहा है और मुस्लिम लीग की पुरानी साथी बीजेपी है.

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मुस्लिम लीग और कांग्रेस का गठबंधन

एक टीवी चैनल पर मुस्लिम लीग के मुद्दे को लेकर हो रही डिबेट में सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि आज मुस्लिम लीग के साथ केरल में कांग्रेस का गठबंधन है. वायनाड में उनका सबसे बड़ा सपोर्टर मुस्लिम लीग है इसीलिए कांग्रेस ने अपना झंडा नहीं लगाया वरना मुस्लिम लीग का भी झंडा दिखता. पिछली बार दिखा था. उन्होंने कहा, ‘अब कांग्रेसी कहते हैं कि ये मुस्लिम लीग अलग है वो मुस्लिम लीग अलग थी. मैं जनता से कहता हूं कि जाकर चेक करिए, जिसको आज यूनियन इंडियन मुस्लिम लीग कहते हैं, उसके संस्थापक हैं मोहम्मद इस्माइल. ये बनी मार्च, 1948 में. 1947 से पहले यही मोहम्मद इस्माइल पूरे दक्षिण भारत के जिन्ना की मुस्लिम लीग के चीफ थे. नाम बदलने से क्या सब बदल गया. जिन्ना को कायदे आजम कहा जाता था तो मोहम्मद इस्माइल को कायदे मिल्लत कहा जाता था.’

“मुस्लिम लीग को सत्ता से बाहर”

सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि आज मैं भी पूछना चाहता हूं कि जो हम मुस्लिमों से कहते हैं कि राष्ट्र की मुख्यधारा में आइए और योगदान दीजिए. ये कहते हैं कि अलग पहचान रखिए, उनके लिए अलग नियम और अलग व्यवस्था रखिए. ये थी मुस्लिम लीग की मांग. मल्लिकार्जुन खरगे के बयान पर सुधांशु त्रिवेदी ने इतिहास का जिक्र करते हुए कहा, ‘अब इसका टेक्नीकल जवाब भी दे देता हूं. खरगे जी को ये ध्यान रखना चाहिए, वो वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन लोग उन्हें जो फीडबैक देते हैं. 1941 की असेंबली में मुस्लिम लीग के साथ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने सरकार नहीं बनाई थी. ए. के. फजलुल हक की पार्टी थी कृषक प्रजा पार्टी, उसके साथ मिलकर सरकार बनाई थी और उसके साथ मिलकर मुस्लिम लीग को सत्ता से बाहर किया था.’

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