Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने रविवार को यूपी की 13 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार की घोषणा की. इस 13 सीटों में पीलीभीत निर्वाचन क्षेत्र का नाम भी शामिल है. यहां से बीजेपी ने योगी सरकार में लोक निर्माण विभाग के मंत्री जितिन प्रसाद को टिकट देकर लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी बनाया है. पीलीभीत लोकसभा सीट पर अभी भारतीय जनता पार्टी के ही नेता वरुण गांधी, सांसद हैं. उन्होंने साल 2019 का चुनाव बड़े अंतर से जीता था. हालांकि, पार्टी ने इस बार उनका टिकट काट दिया है.
गौरतलब है कि इससे पहले कांग्रेस पार्टी में रहे जितिन प्रसाद पहली बार अपने गृह जनपद शाहजहांपुर से सांसद चुने गए थे. जितिन प्रसाद, तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. इसके बाद वह साल 2021 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी ने उन्हें विधान परिषद भेजा और पीडब्ल्यूडी विभाग की जिम्मेदारी सौंप दी. अब बीजेपी ने उन्हें पीलीभीत लोकसभा सीट से चुनावी अखाड़े में उतारा है. लेकिन यहां से मौजूदा सांसद वरुण गांधी के एक फैसले से उनकी मुश्किलें बढ़ती नजर आ रहीं हैं.
ये भी पढे़ें- Mukhtar Ansari: जेल में बंद मुख्तार अंसारी की अचानक तबीयत बिगड़ी, ICU में भर्ती, स्लो पॉइजन देने का लगाया था आरोप
वरुण गांधी ने खरीद लिया था पर्चा
बताते चलें कि बीजेपी की लिस्ट आने से पहले मौजूदा सांसद वरुण गांधी ने चार सेट पर्चा खरीद लिया था. हालांकि, इस दौरान उनके करीबियों ने दावा किया था की पार्टी वरुण गांधी को टिकट देकर प्रत्याशी बनाएगी. वहीं बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, पहले से ही चर्चा थी की बीजेपी उनका टिकट काटने जा रही है. दरअसल, यूपी बीजेपी के नेता सरकार के खिलाफ उनके बयान से नाराज थे और उनकी उम्मीदवारी को लेकर सहमत नहीं थे. आखिरकार हुआ भी कुछ ऐसा ही, पार्टी की लिस्ट में उनका नाम काट दिया गया है.
नामांकन पत्र खरीद चुके वरुण के अंतिम फैसले पर ही जिले की संसदीय सीट का भविष्य भी टिका हुआ है. साल 2019 के चुनाव में वरुण ने समाजवादी पार्टी के हेमराज वर्मा को ढाई लाख से ज्यादा मतों से हराया था. इस चुनाव में वरुण को 7 लाख 4 हजार 549 वोट और हेमराज को 4 लाख 48 हजार 922 मत मिले थे.
1989 से पीलीभीत पर वरुण गांधी के परिवार का कब्जा
गौरतलब है कि साल 1989 में इस सीट से पहली बार वरुण गांधी की मां मेनका गांधी जनता दल की टिकट पर चुनाव लड़ी थीं. इसके बाद 1991 में इस पर बीजेपी के उम्मदवार की जीत हुई थी. उसके बाद से लेकर अब तक यह सीट इसी परिवार के हाथों में है. पीलीभीत लोकसभा सीट से मेनका गांधी 6 बार सांसद रह चुकी हैं. वहीं वरुण गांधी में इस सीट से दो बार जीतकर संसद पहुंचे हैं. एक बार साल 2009 में जबकि दूसरी बार 2019 में लोकसभा चुनाव में इस सीट से जीते थें.
अब ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर जितिन प्रसाद के खिलाफ वरुण गांधी चुनाव मैदान में उतरते हैं तो यहां बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि पीलीभीत में सियासत का ऊंट किस करवट बैठता है और वरुण अपने सियासी भविष्य को लेकर क्या फैसला करते हैं.