Lok Sabha Election: छत्तीसगढ़ में अब दूसरे चरण का मतदान होना है, ऐसे में छत्तीसगढ़ के दुर्ग लोकसभा सीट में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. बीजेपी ने एक बार फिर मौजूदा सांसद विजय बघेल को चुनावी मैदान में उतारा है, तो वहीं कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गरीबी राजेंद्र साहू को मैदान में उतारा है. दोनों ही प्रत्याशी जोर-शोर से प्रचार-प्रसार में जुट गए हैं, लेकिन जनता का मूड क्या है?
दुर्ग लोकसभा का इतिहास
दुर्ग जिला 1906 में रायपुर से अलग होकर बना था. सन् 1973 में जिले का विभाजन हुआ और एक अलग राजनांदगांव जिला अस्तित्व में आया. साल 2012 में दुर्ग को फिर से विभाजित किया गया और दो नए जिले बेमेतरा और बालोद अस्तित्व में आए. साल 1955 में दुर्ग जिले में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की एक प्रमुख इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना हुई, इसके साथ यह तेजी से विकसित हुआ. और आर्थिक गतिविधि का केंद्र बन गया. जिसने पूरे देश से लोगों को आकर्षित किया. साल 2000 में छत्तीसगढ़ बनने के बाद, भिलाई शहर इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं के लिए तकनीकी संस्थानों और कोचिंग सेंटर की स्थापना के साथ एक शैक्षिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ. इसके बाद हाल ही में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पीएम मोदी ने कुछ महीने पूर्व ही भिलाई में बने प्रदेश के इकलौते आईआईटी को राष्ट्र के नाम सौंप दिया.
दुर्ग की वर्तमान परिस्थिति
दुर्ग लोकसभा सीट के अंतर्गत नौ विधानसभा सीट आती हैं. जिनमें पाटन, दुर्ग ग्रामीण, दुर्ग शहर, अहिवारा, वैशाली नगर, नवागढ़, बेमेतरा, भिलाई नगर, साजा सीट शामिल हैं. इन नौ विधानसभा सीटों में से दो विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए भी आरक्षित की गई है, जिसमें अहिवारा और नवागढ़ विधानसभा सीट आती है. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान दो सीटों को छोड़कर बाकी 7 सीटों में बीजेपी का कब्जा है. इन नौ सीटों में से पाटन से भूपेश बघेल और भिलाई नगर से देवेंद्र यादव कांग्रेस से जीते हैं.
दुर्ग का जातीगत समीकरण
दुर्ग लोकसभा कुर्मी, यादव और साहू समाज की बाहुल्यता वाला जिला रहा है. ऐसे में जो पिछले चुनाव हुए हैं उसमें दोनों ही बड़े राजनैतिक दलों ने टिकट की लम्बी दौड़ में शामिल कई दिग्गजों की टिकट काटते हुए जातीगत समीकरण बैठाने की कोशिश की है. इससे राजनीतिक दलों को फायदा भी हुआ है. जातिगत समीकरणों को देखा जाए तो अनुमानित तौर पर साहू समाज लगभग 25 प्रतिशत, कुर्मी समाज 17-18 प्रतिशत, यादव समाज 12-15 प्रतिशत, सतनामी समाज 20-22 प्रतिशत की संख्या में हैं. ऐसे में किसी भी समाज को नाराज करना राजनैतिक दलों के लिए बड़ी भूल हो सकती है.
हाई प्रोफाइल सीट है दुर्ग
लोकसभा सीटों में से दुर्ग सीट बेहद ही हाई प्रोफाइल मानी जाती है, क्योंकि दुर्ग लोकसभा के अंतर्गत पाटन विधानसभा से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और बीजेपी के विजय बघेल जो भूपेश बघेल के भतीजे भी हैं. उन दोनों के बीच विधानसभा चुनाव के दौरान कड़ी टक्कर देखने को मिली थी. दुर्ग लोकसभा सीट की एक बात महत्वपूर्ण यह है,इस जिले से पांच लोग कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी से लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रहे है. जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजनंदगांव से, पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू महासमुंद जिले से तो देवेंद्र यादव को बिलासपुर से, चुनाव लड़ रहे है. तो वही लोकसभा सीट से भाजपा के विजय बघेल और कांग्रेस के राजेंद्र साहू आमने-सामने है.
बीजेपी के विजय बघेल और कांग्रेस के राजेंद्र साहू आमने-सामने
भाजपा की ओर से उम्मीदवार बनाए गए विजय बघेल लगातार पर चुनावी प्रचार में जुटे हुए हैं उनके साथ सैकड़ो की संख्या में लोग रैलियां निकाल कर जनता के बीच पहुंच रहे हैं, विजय बघेल ने विस्तार से खास बातचीत करते हुए कहा कि वह मोदी की गारंटी को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं कांग्रेस ने जनता के साथ सिर्फ छलावा किया है जनता को लूटा है जनता आप समझ गई है कि भाजपा ऐसी पार्टी है जो विकास के लिए समर्पित रहती है, इसलिए जनता दुर्ग लोकसभा सीट से बीजेपी को जीत दिलाएगी.
इसके अलावा कांग्रेस से दुर्ग लोकसभा सीट के लिए उम्मीदवार राजेंद्र साहू की ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में ताबड़तोड़ प्रचार प्रसार कर रहे हैं हालांकि राजेंद्र साहू के साथ कोई बड़ा नेता प्रचार प्रचार में नहीं है लेकिन राजेंद्र साहू ग्रामीण क्षेत्र में घूम-घूमकर कांग्रेस की भारत जोड़ो नया यात्रा के सहारे कांग्रेस की घोषणा पत्र को जनता के बीच बता रहे हैं और जनता का समर्थन लेने की कोशिश करता है, राजेंद्र साहू ने विस्तार में उससे बातचीत करते हुए मोदी सरकार की गारंटी पर सवाल उठाया है और उन्होंने कहा है कि इस बार जनता कांग्रेस की भारत जोड़ो नया यात्रा का समर्थन करेगी जनता महंगाई बेरोजगारी से परेशान है इस बार जनता का समर्थन कांग्रेस को मिलेगा.