Lok Sabha Election: विरासत बचाने की लड़ाई, चुनावी मैदान में उतरीं पढ़ी-लिखी बेटियां, क्या इन्हें पंसद करेगी जनता?
Lok Sabha Election 2024: वर्तमान समय में भारतीय राजनीति में महिलाओं को लेकर खूब चर्चा हो रही है. अन्यथा इससे पहले उनको इस काबिल भी नहीं समझा जाता था. यहीं कारण हैं कि आजादी के बाद से लेकर अब तक सांसद में महिलाओं की संख्या निराशाजनक है. राजनीतिक घराने हमेशा ही बेटियों को उत्तराधिकारी बनाने को लेकर सावधानी बरतते नजर आए हैं. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मजबूरी थी कि उनकी एक ही बेटी इंदिरा गांधी थीं. अन्यथा गांधी परिवार में ही प्रियंका गांधी को भी योग्यता के हिसाब से जिम्मेदारी नहीं पाया है.
लालू परिवार की बात करें तो यहां भी नतीजा कुछ ऐसा ही नजर आता है. लेकिन बेटियां जब चुनावी जंग में जीत हासिल करने लगेंगी तो निश्चित ही उन पर उत्तराधिकार को लेकर भरोसा बढ़ेगा. यह चाहे संयोग हो या मजबूरी. देश में कम से कम एक दर्जन बेटियां अपने पिता के विरासत को संभालने के लिए चुनावी मैदान में हैं. इनमें से ज्यादातर हाईली क्वालिफाइड हैं, तेज तर्रार हैं ओर कई मामलों में अपने पिता से बीस भी हैं. पर क्या आम जनता इन्हें पसंद करेगी. आइये ऐसी 4 बेटियों पर बात करते हैं.
1-रोहिणी आचार्य
अपने पिता लालू प्रसाद को किडनी देकर चर्चा में आईं रोहिणी आचार्य ने जमशेदपुर के महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से डॉक्टर की डिग्री हासिल की है. इस तरह वह अपने पिता और भाइयों तेजस्वी और तेजप्रताप से अधिक पढ़ी लिखी हैं. बिहार की सारण लोकसभा सीट से वो आरजेडी की प्रत्याशी हैं. यहां पांचवे चरण में 20 मई को मतदान होना है. इस सीट पर 4 बार राजद सुप्रीमो लालू यादव और इतनी ही बार भाजपा के कद्दावर नेता राजीव प्रताप रूडी भी यहां से चुनाव जीत चुके हैं. जब से राजीव प्रताप रूडी ने राबड़ी देवी को यहां हराया, तब से यह सीट लालू फैमिली के लिए एक तरह से नाक की लड़ाई बन चुकी है.
2-बांसुरी स्वराज
बांसुरी स्वराज पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी हैं. सुषमा स्वराज बीजेपी में पहली लाइन की नेता और प्रखर वक्ता रही हैं. बांसुरी पहली बार नई दिल्ली लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार हैं. वह सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं. उन्हें कानूनी पेशे में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है. बांसुरी स्वराज के पास वारविक विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की डिग्री है. बाद में उन्होंने लंदन के बीपीपी लॉ स्कूल से कानून की डिग्री हासिल की. बांसुरी ने लॉ में बैरिस्टर के रूप में योग्यता प्राप्त की और उन्हें लंदन के ऑनरेबल इन इनर टेम्पल से बार में बुलाया गया. उनके पास ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सेंट कैथरीन कॉलेज से मास्टर ऑफ स्टडीज की डिग्री भी है.स्वराज ने कई हाई प्रोफाइल मुकदमों का प्रतिनिधित्व किया है. उनके पेशेवर पोर्टफोलियो में रियल एस्टेट, कर, अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता के साथ-साथ कई आपराधिक मुकदमों से जुड़े विवादों से निपटने का अनुभव है.
स्वराज को हरियाणा राज्य के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में भी कार्य कर रही हैं. बांसुरी स्वराज को पिछले साल भाजपा दिल्ली के कानूनी प्रकोष्ठ का सह-संयोजक नियुक्त किया गया था. बांसुरी स्वराज का मुकाबला आम आदमी पार्टी के सोमनाथ भारती से है. नई दिल्ली में 28 साल बाद एक बार फिर से वकीलों की जंग हो रही है. साल 1996 के चुनाव में दक्षिण दिल्ली क्षेत्र में भाजपा की सुषमा स्वराज और कांग्रेस के कपिल सिब्बल आमने सामने थे.
3-यशस्विनी सहाय
यशस्विनी सहाय पूर्व सांसद और यूपीए सरकार में मंत्री रहे सुबोध कांत सहाय और रेखा सहाय की बेटी हैं. सुबोध कांत सहाय आखिरी बार 2009 में रांची के सांसद के रूप में निर्वाचित हुए थे. इसके बाद से उन्हें रांची से जीत नहीं मिल सकी. अब उन्होंने अपनी बेटी को मैदान में कांग्रेस की टिकट से उतारा है. वहीं यशश्विनी की मां रेखा सहाय अभिनेत्री रह चुकी हैं. यशस्विनी मुंबई से लॉ की डिग्री हासिल करने के बाद यूनाइटेड नेशंस क्राइम एंड जस्टिस रिसर्च इंस्टीट्यूट टुरिन इटली से लॉ में मास्टर डिग्री हासिल की. उसके बाद से वह मुंबई फैमिली कोर्ट और सेशन कोर्ट में बतौर अधिवक्ता अपनी सेवाएं दे रही हैं.इसके अलावा वह कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन से भी जुड़ी हुई हैं.
यशश्विनी सहाय वर्तमान सांसद संजय सेठ को टक्कर देंगी. रांची से बीजेपी ने मौजूदा सांसद संजय सेठ को टिकट दिया है. एक तरफ संजय सेठ भाजपा के पुराने और मंझे हुए नेता हैं. वहीं यशश्विनी के लिए यह पहला मौका होगा, जब वह चुनावी मैदान में उतरी है.
4- श्रेया वर्मा
श्रेया वर्मा समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता स्व. बेनी प्रसाद वर्मा की पोती हैं और सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राकेश वर्मा की बेटी हैं. समाजवादी पार्टी में महिला कार्यकारणी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रेया भी हाईली क्वालिफाइड हैं. श्रेया ने अपनी स्कूली शिक्षा उत्तराखंड के वेल्हम गर्ल्स स्कूल से की और दिल्ली के रामजस कॉलेज से इकॉनमी ऑनर्स में ग्रेजुएट हैं. वह शिक्षा क्षेत्र में विभिन्न गैर सरकारी संगठनों से जुड़ी रही हैं.उनकी मां सुधा रानी वर्मा, जो बाराबंकी में एक डिग्री कॉलेज चलाती हैं, के अनुसार श्रेया छात्र राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल रही हैं, लेकिन उन्होंने पहले कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा था.