Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में माननीय को पब्लिक गेदरिंग में भोजन करना और शामिल होना महंगा पड़ सकता है. प्रत्याशी के अलावा मौजूद लोगों के भोजन खर्च भी जुड़ेगा. इससे प्रत्याशी की मुश्किलें भी बढ़ सकती है. क्योंकि खर्च की रिपोर्ट चुनाव आयोग और प्रत्याशी दोनों ही तैयार करते हैं, अगर विभिन्नता मिली तो प्रत्याशी के सामने बड़ा संकट पैदा हो जाएगा.
चुनाव आयोग के निर्देशों के मुताबिक यदि चुनाव लड़ने वाला अभ्यर्थी मतदाताओं से मिलने के लिए किसी सामुदायिक भोज या लंगर में शामिल होता है तो ऐसे सामाजिक समारोह पर किया गया व्यय अभ्यर्थी के निर्वाचन व्यय के रूप में माना जायेगा और इसे उसके निर्वाचन व्यय लेखा में जोड़ा जायेगा. आयोग ने कहा है कि निर्वाचकों से मिलने के लिए आयोजित किए गए ऐसे सामुदायिक भोज के कार्यक्रम भले ही किसी नाम से बुलाये गये हों और खुद अभ्यर्थी या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा ही क्यों न आयोजित किये गये हों यदि अभ्यर्थी उसमें भाग लेता है तो इस पर होने वाले खर्च को अभ्यर्थी के निर्वाचन व्यय में शामिल किया जायेगा.
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टीम करेगी निगरानी, संस्थानों के प्रथा के कार्यक्रम में खर्च नहीं जुड़ेगा
निर्वाचन आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह निर्देश धार्मिक समुदायों द्वारा अपने संस्थानों के अंदर प्रथा के तौर पर आयोजित लंगर, भोज या कोई समारोह जैसे शादी, मृत्यु आदि के सामान्य भोज पर लागू नहीं होगा जबकि यह अभ्यर्थी को छोड़कर किसी व्यक्ति द्वारा आयोजित किया गया हो. ऐसे सामुदायिक भोज, लंगर, दावत आदि पर किये गये व्यय को अभ्यर्थी के निर्वाचन व्यय में शामिल नहीं किया जायेगा. बशर्ते कि अभ्यर्थी उसमें सामान्य आंगतुक के रूप में भाग लेता हो. आयोग ने निगरानी दलों एवं निर्वाचन अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए हैं कि ऐसे सामुदायिक भोज आदि में अभ्यर्थी ने कोई वित्तीय योगदान नहीं दिया हो और किसी भी तरीके से ऐसे सामुदायिक भोज में किसी तरह का राजनैतिक अभियान न चलाया गया हो.