Lok Sabha Election: छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर फिर सियासत तेज, बीजेपी और कांग्रेस एक-दूसरे पर लगा रहे आरोप
Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान से पहले देशभर में आरक्षण को लेकर बवाल मचा हुआ है. भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर आरक्षण को खत्म करने का आरोप लगा रहे हैं. इस बीच छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक का जिन्न फिर बोतल से बाहर आ गया है. आरक्षण को लेकर कांग्रेस ने भाजपा को चुनौती दी है.
छत्तीसगढ़ में पिछली सरकार के दौरान विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित आरक्षण संशेधन विधेयक अब तक राजभवन में हस्ताक्षर की बाट जोह रहा है. विधानसभा चुनाव में सरकार बदल गई. लोकसभा चुनाव के दो चरणों का मतदान हो चुका है, अब फिर आरक्षण संशोधन विधेयक का जिन्न बोतल से बाहर निकल आया है.
आरक्षण के मुद्दे पर जमकर हो रही सियासत
दरअसल इसकी पृष्ठभूमि में पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर राहुल गांधी के वो बयान हैं. जिसने पीएम से लेकर अमित शाह और जेपी नड्डा तक कांग्रेस पर आरक्षण को लेकर आरोप लगा रहे हैं. जबकि राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे भी भाजपा पर आरक्षण खत्म करने की साजिश करने का आरोप लगा रही है.अब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने इसे लेकर नया दांव चला है. कांग्रेस ने भाजपा को सीधी चुनौती दी है कि अगर वह आरक्षण के पक्ष में है, तो राजभवन में बीते दो सालों से अधिक समय से लंबित आरक्षण संसोधन विधेयक पर राज्यपाल का हस्ताक्षर कराकर इसे लागू करना चाहिए.
ये भी पढ़ें- छत्तीसगढ़ में तीसरे चरण के मतदान से पहले बीजेपी ने झोंकी ताकत, पीएम मोदी भी करेंगे दौरा
आरक्षण पर बीजेपी-कांग्रेस आमने-सामने
कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला कहते हैं कि भाजपा आरक्षण की विरोधी है. अगर वह आरक्षण का समर्थन करती है, तो जो विधेयक सर्वसम्मति से पारित हुआ, उसे लागू करना चाहिए. वहीं उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा कहते हैं कि यह कांग्रेस के शासनकाल के किए मसले हैं. भाजपा आरक्षण की विरोधी नहीं है.
ऐसे फंसा आरक्षण संशोधन विधेयक का पेंच
बता दें कि 2 दिसंबर 2022 को राज्य विधानसभा ने आरक्षण संशोधन विधेयक पारित हुआ था, विधेयक में एसटी को 32 फीसदी, एससी को 13 फीसदी, ओबीसी को 27 फीसदी और सामान्य वर्ग के गरीबों को 4 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है. सभी वर्गों को 76 फीसदी आरक्षण का विधेयक सर्वसम्मति से पारित किया गया. विधेयक पारित होने के बाद से ही यह राजभवन में लंबित है, अब तक राज्यपाल ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किया. वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य में 50 फीसदी आरक्षण लागू है, लेकिन कांग्रेस लगातार 76 फीसदी आरक्षण के विधेयक को लागू करने की मांग कर रही है.
आरक्षण को लेकर पीएम मोदी से लेकर मोहन भागवत और राहुल गांधी से लेकर मल्लिकार्जुन खड़गे लगातार बयान तो दे ही रहे है. चुनावी सभाओं में भी आरक्षण का मुद्दा गर्म है. ऐसे में छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक का जिन्न तो बाहर आ ही गया है. इसे लेकर अब भाजपा और कांग्रेस भी आमने सामने हो गए हैं. इसका जनता पर खासतौर पर आरक्षित वर्ग के मतदाताओं पर कितना असर होता है. इस पर जरूर सबकी निगाहें टिकी होगी.