Jabalpur Lok Sabha Seat: जबलपुल लोकसभा सीट में मतदात पहले चरण में हो गया. बार यहां पिछली बार से कम मतदान दर्ज किया गया. लेकिन इसके बाद भी यहां सियासी चर्चाओं का दौर जारी है. 2019 की तुलना में तकरीबन 8 फ़ीसदी मतदान कम हुआ है. बावजूद इसके यहां बीजेपी रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज करने का दावा कर रही है.
बीजेपी का अभेद किला है जबलपुर लोकसभा सीट
जबलपुर लोकसभा सीट बीजेपी का अभेद किला बना हुआ है, इसे भेदने के लिए कांग्रेस के कई दिग्गज मैदान में उतरे लेकिन बार उनको हार का सामना करना पड़ा. हर बार बीजेपी की जीत के अंतर में इजाफा हुआ. यही वजह है कि मतदान कम होने के बावजूद भी बीजेपी इस बार 5 लाख से ज्यादा मतों के साथ जीतने का दावा कर रही है.
कांग्रेस का दावा- ‘चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आयेंगे’
इस बार 2019 की तुलना में मतदान कम होने से कांग्रेस में उत्साह का माहौल है कांग्रेस के नेताओं का दावा है कि आम जनता का मतदान में हिस्सा ना लेना सत्ता के प्रति निराशा दिखा रहा है. जबलपुर लोकसभा सीट में बीजेपी ने पिछले 28 सालों में कुछ नहीं किया. इसी की नाराजगी के चलते लोगों ने मतदान नहीं किया है, जिसका सीधा फायदा कांग्रेस को मिलेगा और इस बार चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में जाएंगे.
आंकड़ों से समझिए जबलपुर लोकसभा सीट का समीकरण
जबलपुर लोकसभा सीट आठ विधानसभाओं क्षेत्र से बनी है, जिसमें चार शहरी और चार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र आते हैं. शहरी विधानसभा क्षेत्र में कैबिनेट मंत्री राकेश सिंह की पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में भी 2019 की तुलना में 15650 वोट कर पड़े है. वहीं,ग्रामीण क्षेत्रों वाली 4 विधानसभा सीटों में से पाटन में 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले 19685 वोट कम पड़े है.
हालांकि,पूरी 8 विधानसभा में सीट में 2019 की तुलना में कुल मिलाकर 1 लाख 6 हजार 730 वोट कम डाले गए हैं. इसी तरह कैंट विधानसभा क्षेत्र में भी पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार 14477 वोट कम पड़े. उत्तर और पूर्व विधानसभा में भी पिछले चुनाव में पड़े वोट और इस बार के मतदान में दस हजार से ज्यादा वोटों का अंतर है. कुल मिलाकर कहा जाए तो 2024 लोकसभा चुनाव में कुल वोट 11 लाख 56843 वोट हुए, जो 2019 की तुलना में 106730 वोट कम हैं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि वोट कम या ज्यादा होने से जीत का कोई फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन यह दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए चिंता का विषय जरूर है.
बता दें कि मतदान प्रतिशत कम होना निर्वाचन आयोग के साथ-साथ राजनीतिक दलों के लिए भी चिंता का विषय है. लेकिन चर्चाएं जीत के अंतर को लेकर हो रही हैं. अब यह देखने वाली बात होगी कि 4 जून को बीजेपी जबलपुर लोकसभा सीट पर रिकॉर्ड बनती है या फिर कांग्रेस की खेमे में खुशी की लहर दौड़ती है.