Vistaar NEWS

Lok Sabha Election: मुरैना सीट पर 28 साल से BJP का कब्जा, अबकी BJP के शिवमंगल सिंह तोमर और कांग्रेस के सत्यपाल सिंह सिकरवार के बीच कड़ा मुकाबला

Morena Lok Sabha Seat

मुरैना लोकसभा सीट से बीजेपी से शिवमंगल सिंह तोमर और कांग्रेस ने सत्यपाल सिंह सिकरवार आमने सामने हैं.

Loksabha Election 2024: राजस्थान, यूपी के बॉर्डर से सटी मुरैना लोकसभा सीट अपने चंबल के बीहड़, गजक, घड़ियाल और बागियों के लिए जानी जाती है. मुरैना एमपी की उन लोकसभा सीट में से एक है जहां बीजेपी और कांग्रेस के अलावा तीसरी पार्टी का प्रभाव देखने को मिलता है. यूपी और राजस्थान की राजनीति से ये सीट अछूती नहीं है. यहां के मुद्दे कमोबेश वही हैं जो एमपी के दूसरे शहर के हैं लेकिन यहां कि राजनीति बिल्कुल अलग है.

दो जिलों की आठ विधानसभा सीट

मुरैना लोकसभा सीट में दो जिलों की आठ विधानसभा सीट आती हैं. इनमें श्योपुर जिले की श्योपुर, विजयपुर और मुरैना की सबलगढ़, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबाह विधानसभा सीट शामिल हैं. इन आठ में से सबलगढ़, सुमावली और दिमनी पर बीजेपी के विधायक हैं. बाकी बची 6 सीट पर कांग्रेस के विधायक हैं. अंबाह विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व्ड है.

बीजेपी ने इस बार शिवमंगल सिंह तोमर को अपना उम्मीदवार बनाया है और कांग्रेस ने सत्यपाल सिंह सिकरवार को अपना प्रत्याशी बनाया है. इस लोकसभा सीट पर तीसरे चरण में 7 मई को वोटिंग होनी है. आइए जानते हैं दोनों उम्मीदवारों के बारे में

शिवमंगल सिंह तोमर – दिमनी से विधायक रहे

एजुकेशन- एलएलबी
संपत्ति- 2 करोड़ रुपये+
आपराधिक रिकॉर्ड- शून्य (0)

बीजेपी ने आम चुनाव 2024 के लिए शिवमंगल सिंह तोमर को अपना उम्मीदवार बनाया है. तोमर पेशे से वकील हैं. तोमर को बीजेपी से जुड़े हुए 40 साल से ज्यादा हो गए हैं. संगठन स्तर पर ढेर सारी जिम्मेदारियां निभाई. इनमें जिला महामंत्री और उपाध्यक्ष पद पर रहे.

सक्रिय राजनीति में भागीदारी की बात करें तो तोमर ने पहला विधानसभा का चुनाव 2008 में दिमनी से लड़ा. इस चुनाव में तोमर को 24 हजार 777 वोट मिले और कांग्रेस के गिर्राज डण्डौतिया को 22 हजार 470 वोट मिले. दोनों के बीच जीत का अंतर 2 हजार 307 वोट रहा. इस चुनाव में तोमर को बहुत कम अंतर से जीत मिली.

साल 2013 में फिर से बीजेपी ने दिमनी सीट से उम्मीदवार के रूप में शिवमंगल सिंह तोमर को उतारा. इस चुनाव में तोमर को बुरी तरह का हार का सामना करना पड़ा. बीएसपी के बलवीर सिंह डंडौतिया और कांग्रेस के रविंद्र सिंह तोमर के बाद तीसरे स्थान पर रहे.

हार के बावजूद बीजेपी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में फिर से अपना उम्मीदवार तोमर को बनाया. इस चुनाव में कांग्रेस के गिर्राज डंडौतिया ने जीत हासिल की और तोमर दूसरे स्थान पर रहे. गिर्राज को 69 हजार 597 वोट मिले और तोमर को 51 हजार 120 वोट मिले.

लगातार 2013 और 2018 के चुनाव में हार के बाद बीजेपी ने दिमनी सीट से विधानसभा चुनाव 2023 में पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को उतारा. शिवमंगल सिंह तोमर को मुरैना लोकसभा सीट से उम्मीदवार बना दिया . तोमर का ये पहला लोकसभा चुनाव है.

ये भी पढ़ें: चौथे फेज के इलेक्शन में 12 दागदार और 22 करोड़पति मैदान में, पुरुषों की तुलना में सिर्फ दो फीसदी ही महिला उम्मीदवार

सत्यपाल सिंह सिकरवार – सुमावली से विधायक रहे

एजुकेशन – पीएचडी
संपत्ति- 2 करोड़ रुपये+
आपराधिक रिकॉर्ड- शून्य (0)

कांग्रेस ने इस बार मुरैना लोकसभा सीट से सत्यपाल सिंह सिकरवार को अपना उम्मीदवार बनाया है. ग्वालियर-चंबल रीजन में अपनी अलग पहचान रखने वाले सत्यपाल के राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र जीवन से होती है. सिकरवार के परिवार का इस रीजन में अच्छा खासा प्रभाव है. पिता गजराज सिंह सिकरवार दो बार सुमावली सीट से विधायक रहे. भाई सतीश सिकरवार ग्वालियर पूर्व से विधायक हैं. भाभी शोभा सिकरवार ग्वालियर महापौर हैं.

सत्यपाल उर्फ नीटू सिकरवार के परिवार पर नजर डाले तो लगभग पूरा परिवार राजनीति में है. सत्यपाल का पूरा परिवार बीजेपी से है. नीटू की बात करें तो शुरुआती दौर में बीजेपी से राजनीति की शुरुआत की. कॉलेज में छात्र संघ के अध्यक्ष रहे. जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे.

साल 2013 में हुए विधानसभा के चुनाव में बीजेपी ने सत्यपाल सिंह सिकरवार को टिकट दिया. इस चुनाव में सत्यपाल सिंह को 61 हजार 557 वोट मिले थे और सिकरवार के करीबी प्रतिद्वंदी बीएसपी के अजबसिंह कुशवाहा को 47 हजार 418 वोट मिले थे. दोनों के बीच जीत का अंतर 14 हजार 76 रहा. इसके बाद सत्यपाल ने कोई चुनाव नहीं लड़ा.

2020 में पार्टी के खिलाफ एक्टिविटी के मामले में बीजेपी ने सत्यपाल को पार्टी से निकाल दिया. इसके बाद सिकरवार ने कांग्रेस ज्वॉइन कर ली. इस बार कांग्रेस ने सिकरवार को मुरैना सीट से उम्मीदवार बनाया है. ये सत्यपाल का पहला लोकसभा चुनाव है.

सत्यपाल सिंह सिकरवार बनाम शिवमंगल सिंह तोमर

इस बार मुरैना सीट पर मुकाबला कड़ा होने वाला है. इस चुनाव में जहां एक ओर कांग्रेस के सत्यपाल सिंह सिकरवार हैं जिनका पूरा परिवार इस रीजन में सक्रिय है और परिवार के कई लोग महत्वपूर्ण पदों पर हैं. वहीं शिवमंगल तोमर नरेंद्र सिंह तोमर के प्रभुत्व वाले रीजन से आते हैं. तोमर को नरेंद्र सिंह तोमर का करीबी भी माना जाता है.

शिवमंगल सिंह तोमर का यहां से चुनाव जीतना बीजेपी के लिए नाक का सवाल हैं क्योंकि इस सीट से एमपी विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर सांसद रह चुके हैं. इसके अलावा इस लोकसभा सीट के दिमनी विधानसभा से विधायक भी हैं.

दोनों सवर्ण वर्ग से आते हैं. दोनों उम्मीदवारों का ये पहला मौका है जब वे लोकसभा चुनाव लड़ेंगे.

आम चुनाव 2019 : नरेंद्र सिंह तोमर सांसद बने

इस चुनाव में नरेंद्र सिंह तोमर को 5 लाख, 41 हजार, 689 वोट मिले. वहीं कांग्रेस के रामनिवास रावत को 4 लाख, 28 हजार, 348 वोट मिले. दोनों के बीच जीत का अंतर एक लाख, 13 हजार, 981 रहा.

मुरैना सीट का राजनीतिक इतिहास : पिछले 28 साल से बीजेपी के सांसद हैं

पिछले 28 साल से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. बीजेपी के अशोक अर्गल सबसे ज्यादा चार बार यानी साल 1996, 1998, 1999 और 2004 में सांसद बने. पहले गैर कांग्रेसी सांसद 1971 में हुकुमचंद कचवाई भारतीय जनसंघ के टिकट से जीतकर आए.

इस सीट पर पहला चुनाव 1952 में हुआ. इस चुनाव में कांग्रेस के राधाचरण शर्मा सांसद बने. ऐसे तीन सांसद रहे जो दो बार जीते. इनमें कांग्रेस के राधाचरण शर्मा, छविराम अर्गल और बीजेपी के नरेंद्र सिंह तोमर हैं.

(साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में नरेंद्र सिंह तोमर ने मुरैना लोकसभा सीट की दिमनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीते. इसके बाद एमपी विधानसभा अध्यक्ष बने और सांसद पद से इस्तीफा दे दिया)

जातिगत समीकरण: मुरैना लोकसभा सीट पर ब्राह्मण और क्षत्रिय का दबदबा

इस सीट पर कुल वोटर्स करीब 20 लाख हैं. इनमें 10 लाख 70 हजार पुरुष और 9 लाख 34 हजार महिला वोटर्स हैं. ब्राह्मण और क्षत्रिय के दबदबे वाली इस सीट पर आधे से ज्यादा सांसद इसी वर्ग के हैं. ब्राह्मण वोटर्स की संख्या लगभग 2 लाख है वहीं क्षत्रिय वोटर्स की संख्या 2.5 लाख के आसपास है. यहां अनुसूचित वर्ग के वोटर्स भी अच्छी संख्या में हैं जिनकी संख्या 2 लाख के आसपास है.

(SOURCE: MP VIDHANSABHA,ECI, myneta.info, digital sansad)

Exit mobile version