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VVPAT पर्चियों के EVM से मिलान करने वाली याचिका पर SC ने की सुनवाई, कोर्ट ने प्रशांत भूषण से पूछे तीखे सवाल

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट

Lok Sabha Election 2024: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वीवीपैट के सभी पर्चियों का मिलान ईवीएम से पड़े वोटों के साथ कराने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई की. इसके बाद न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने आगे की सुनवाई के लिए 18 अप्रैल तक टाल दिया. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और सोशल एक्टिविस्ट अरुण कुमार अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ईवीएम के वोटों और वीवीपैट पर्चियों की 100 फीसदी मिलान की मांग की है.

कोर्ट में एडीआर की पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने अपनी दलील देते हुए कहा कि ज्यादातर मतदाता ईवीएम पर भरोसा नहीं करते. उनके इस दलील पर जस्टिस दीपांकर दत्ता ने उनसे पूछा कि अधिकांश मतदाता ईवीएम पर भरोसा नहीं करते. आपको ये डेटा कैसे और कहां से मिला?’ इसके जवाब में प्रशांत भूषण ने कहा- ‘एक सर्वे के आधार पर यह जानकारी मिली है.’ इस पर जस्टिस दत्ता ने कहा- ‘हम निजी सर्वे पर विश्वास नहीं करते’.

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प्रशांत भूषण ने बैलेट पेपर का किया जिक्र

अदालत में बोलते हुए प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि ज्यादातर यूरोपीय देश, जिन्होंने ईवीएम से मतदान का विकल्प चुना था, वापस बैलट पेपर पर लौट आए हैं. इस पर जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, ‘हम अपनी जिंदगी के छठे दशक में हैं और जानते हैं कि जब बैलट पेपर से मतदान होता था, तब क्या समस्याएं आती थीं. हो सकता है आपको याद न हो, लेकिन हम भूले नहीं हैं.’

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश एक वकील ने आरोप लगाया कि ईवीएम पब्लिक सेक्टर यूनिट की कंपनियां बनाती हैं. जो सरकार के नियंत्रण में होती हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- क्या प्राइवेट कंपनी ईवीएम बनाएगी तो आप खुश होंगे? सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील संजय हेगड़े ने शीर्ष अदालत से मांग की कि ईवीएम में दर्ज वोटों का मिलान वीवीपीएटी की 100 फीसदी पर्चियों से किया जाना चाहिए. इस पर जस्टिस संजीव खन्ना ने पूछा- क्या 60 करोड़ वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती होनी चाहिए?

“मतदाताओं को दी जाए वीवीपैट से निकलने वाली पर्ची”

प्रशांत भूषण ने कहा, ‘बेहतर तरीका ये है कि वोटर को वीवीपैट से निकलने वाली पर्ची दी जाए और वह इसे देखने के बाद खुद बॉक्स में डाले और फिर उसका ईवीएम से मिलान किया जाए. वर्तमान में चुनाव आयोग प्रति विधानसभा केवल 5 वीवीपैट मशीनों की गिनती कर रहा है, जबकि ऐसी 200 मशीनें लगती हैं. यह केवल 5 प्रतिशत है. मतदाता को वीवीपैट से निकलने वाली पर्ची लेने और उसे मतपेटी में डालने की अनुमति दी जा सकती है. जर्मनी में ऐसा ही होता है.’

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