Lok Sabha Election 2024: पंजाब कांग्रेस के नेता सुखपाल सिंह खैरा इन दिनों अपने विवादित बयान को लेकर चर्चा में बने हुए हैं. दरअसल, पंजाब के संगरूर लोकसभा क्षेत्र के खेतला गांव में 18 मई को एक रैली के दौरान कांग्रेस के उम्मीदवार सुखपाल सिंह खैरा ने हिमाचल प्रदेश की तरह पंजाब में भी एक कानून लाने की मांग की थी. जिसके तहत अगर कोई बाहरी शख्स पंजाब सरकार द्वारा तय कुछ शर्तों को पूरा नहीं करता है तो उसे राज्य में जमीन खरीदने, मतदाता बनने या सरकारी नौकरी पाने से रोका जाएगा.
विदेशों में पंजाबियों के बढ़ते पलायन पर सुखपाल सिंह खैरा ने चिंता व्यक्त की थी और दावा किया था कि अगर स्थिति ऐसी ही रही तो पंजाब के मूल निवासी राज्य में अल्पसंख्यक बन जाएंगे. तीन बार के विधायक रह चुके सुखपाल सिंह खैरा के इस बयान पर राज्य की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी और भाजपा ने उनकी तीखी आलोचना की है. कांग्रेस ने इस विवाद से बचने की कोशिश की है और इसे सुखपाल खैरा का निजी विचार बताया है.
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प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर बोला हमला
मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के महाराजगंज में एक रैली को संबोधित करते हुए सुखपाल खैरा का नाम लिए बिना कहा, “इंडिया गठबंधन के लोग बिहार के लोगों का अपमान कर रहे हैं. राजपरिवार (गांधी परिवार) के करीबी एक कांग्रेस नेता का कहना है कि बिहार के लोगों का बहिष्कार किया जाना चाहिए. उन्हें पंजाब में अधिकार नहीं दिए जाने चाहिए या उन्हें वहां घर खरीदने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, लेकिन राजपरिवार इस पर चुप रहता है. उनके दिमाग में इतनी नफरत भरी हुई है.”
सुखपाल खैरा ने दी सफाई
वहीं सुखपाल सिंह खैरा ने पीएम मोदी पर उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया. सुखपाल खैरा ने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने बिहारियों का जिक्र किया है या प्रवासियों के बहिष्कार का आह्वान किया है. सुखपाल खैरा ने एक बयान में कहा, “मैं हिमाचल प्रदेश जैसे कानून की वकालत कर रहा हूं जो बाहरी लोगों को राज्य की शर्तों को पूरा किए बिना जमीन खरीदने, मतदाता बनने या सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने से रोकता है. अगर कोई गैर-पंजाबी पंजाब में आजीविका कमाना चाहता है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन अगर वह स्थायी रूप से बसना चाहता है तो उसे एचपी टेनेंसी एक्ट 1972 जैसी शर्तों को पूरा करना होगा.
ऐसा कानून पंजाब में और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारी अधिकांश सरकारी नौकरियां हरियाणा, दिल्ली आदि से आए लोगों द्वारा ली जा रही है. पंजाब में यह बेहद जरूरी है क्योंकि दुनिया भर में पंजाबियों के बड़े पैमाने पर पलायन के कारण हमारी डेमोग्राफिक स्थिति खतरे में है. मैं प्रधानमंत्री को यह भी याद दिलाना चाहता हूं कि हिमाचल प्रदेश जैसा एक समान कानून उनके गृह राज्य गुजरात और भाजपा शासित उत्तराखंड में भी मौजूद है.”
सीएम भगवंत मान ने मांग को गलत बताया
वहीं इस विवादित बयान पर पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा, “बाहरी लोगों के लिए प्रतिबंध लगाना सही नहीं है. इस तरह के कानून की मांग करना सही नहीं है, क्योंकि पंजाबी ‘सरबत दा भला’ (सभी के लिए समृद्धि) में विश्वास करते हैं और पंजाबी आपदाओं के दौरान विभिन्न स्थानों पर लंगर आयोजित करने के लिए प्रसिद्ध हैं.