Input- सचिन राठौर
Barwani News: बड़वानी जिले के सेंधवा में छात्रावास की व्यवस्थाओं और पसंदीदा अधीक्षिका के स्थानांतरण को लेकर उठी छात्राओं की आवाज ने जिम्मेदारों की नींद उड़ा दी है. सेंधवा के कन्या परिसर मड़गांव की 120 छात्राएं बड़वानी कलेक्टर से मिलने के लिए अचानक पैदल निकल पड़ीं. 70 किलोमीटर का सफर, तपती धूप और एक ही जिद, अपनी आवाज ऊपर तक पहुंचाना. क्या ये प्रशासन की अनदेखी नहीं है?
छात्राएं बोलीं- हॉस्टल अधीक्षिका और हॉस्टल वॉर्डन के कारण घर जैसा माहौल
सेंधवा कन्या परिसर मड़गांव की 120 छात्राएं शुक्रवार को अचानक जिला मुख्यालय बड़वानी की ओर पैदल निकल पड़ीं. कारण था हॉस्टल की अधीक्षिका सुलोचना मानसारे और वार्डन सावित्री सहिते का संभावित स्थानांतरण रोकना. छात्राओं के मुताबिक ये दोनों महिला अधिकारी हॉस्टल में उनके घर जैसा माहौल देती हैं, उन्हें समझती हैं और हमेशा उनका ध्यान रखती हैं. छात्राओं का आरोप है कि हाल ही में अजजा आयोग के अध्यक्ष अंतरसिंह आर्य के दौरे के बाद इन दोनों को हटाने के निर्देश दिए गए. जो छात्राओं को न केवल अन्यायपूर्ण लगा बल्कि प्रशासन की एकतरफा कार्रवाई भी प्रतीत हुई.
अव्यवस्थाओं का मुद्दा भी उठाया
छात्राएं खाना-पानी, साफ-सफाई और खेल के मैदान जैसी मूलभूत जरूरतों की बात भी उठा रही हैं. सवाल ये है कि क्या इन बातों को लेकर पहले किसी ने नहीं सुना? सेंधवा बीईओ, जनशिक्षक और नायब तहसीलदार ने छात्राओं को रोकने की कोशिश की, लेकिन छात्राएं लगभग 12 किलोमीटर तक हाईवे पर पैदल चलती रहीं. आखिरकार, सेंधवा एसडीएम आशीष कुमार मौके पर पहुंचे और छात्राओं से संवाद किया. उन्होंने समाधान का भरोसा दिलाया और बस की व्यवस्था कर छात्राओं को वापस भेजा. लेकिन सवाल यही है कि क्या छात्राओं को अपनी बात कहने के लिए 70 किलोमीटर पैदल चलने की नौबत क्यों आई? क्या जिम्मेदार सिर्फ आग बुझाने आते हैं, या समय रहते समाधान भी कर सकते हैं? इस पूरे प्रकरण पर जब हमने सेंधवा एसडीएम आशीष कुमार से बात करना चाही तो उन्होंने मीडिया से दूरी बनाना पसंद किया और सवालो से बचते नजर आए.
ये भी पढ़ें: MP: ‘अभी 10-15 साल राजनीति में रहूंगी’, उमा भारती बोलीं- अगर मन हुआ तो अगला चुनाव लड़ूंगी
