MP News: मध्य प्रदेश एक ऐसा राज्य है. जहां आध्यात्म की बयार बहती है. पूर्व से पश्चिम तक और उत्तर से दक्षिण तक चारों दिशाओं में कोई न कोई आस्था का केंद्र है. इन आस्था के मंदिरों में केवल प्रदेश के ही नहीं देश और दुनिया से भी लोग आते हैं. हर देवी-देवता के मंदिर की यहां उपस्थिति है. भगवान शिव के मंदिर की बात करें तो कहना ही क्या. वैसे तो सभी लोग जानते हैं कि एमपी में दो ज्योतिर्लिंग हैं. इनमें उज्जैन के बाबा महाकाल और खंडवा के ओंकारेश्वर हैं. इन दो ज्योतिर्लिंगों के अलावा यहां और कई सारे शिव मंदिर हैं जिनका इतिहास बहुत लंबा और इन पर भक्तों की आस्था सदियों से है.
उज्जैन: महाकालेश्वर मंदिर
देश की 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है. यह एकमात्र ऐसी ज्योतिर्लिंग है जिसका मुख दक्षिण की ओर है. महाकाल जिसका शाब्दिक अर्थ कालों का भी काल होता है. यहां होने वाली भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है जिसे देखने श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं.
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खंडवा- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
खंडवा जिले के मांधाता द्वीप पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है. ऐसा माना जाता है कि यह दो ज्योतिर्लिंगों का समूह है इनमें ओंकारेश्वर और अमरेश्वर हैं. यहां होने वाली शयन आरती इसे अलग बनाती है. रात में शयन आरती की जाती है इसमें देवी पार्वती और भगवान चौपड़ खेलते हैं.
मंदसौर- पशुपतिनाथ मंदिर
भगवान शिव को समर्पित पशुपतिनाथ का मंदिर भारत के सबसे अनोखे मंदिरों में से एक है. यहां स्थापित शिवलिंग अष्टमुखी है जो सबसे अलग है. इस शिवलिंग के मुख अलग-अलग प्रतीकों को संदर्भित करते हैं. शिवना नदी के किनारे मंदिर स्थित है. यहां 37 क्विंटल वजनी घंटा लगाया गया है.
ग्वालियर: अचलेश्वर महादेव मंदिर
ऐसा कहा जाता है कि ये पांडव कालीन मंदिर है. एक बार एक राजा की शाही सवारी निकल रही थी. शिवलिंग का ऊपरी हिस्सा शाही सवारी के रास्ते में आ गया. बाद में इसे खुदवाया गया लेकिन इसका ओर-छोर नहीं मिला. इसके बाद इसे रस्से से खिंचवाया गया. इसके बाद इन्हें अचलेश्वर महादेव के नाम से स्थापित किया गया.
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सतना- गैवीनाथ महादेव मंदिर
सतना जिले के वीरसिंहपुर में गैवीनाथ महादेव मंदिर है. इस शिवलिंग का जिक्र पद्मपुराण में मिलता है. त्रेतायुग के समय की माना जाता है. औरंगजेब के शिवलिंग पर किए गए प्रहारों को आज भी देखा जा सकता है. यहां मन्नत के धागे बांधे जाते हैं जो कलावा से बने होते हैं.