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Women’s Day 2025: मध्य प्रदेश की 5 शक्तिशाली रानियां, जिनका लोहा पूरी दुनिया मानती है

5 powerful queens of Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश की 5 शक्तिशाली रानियां

Women’s Day 2025: दुनियाभर में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) मनाया जाएगा. ये दिन पूरे विश्व में महिला को समर्पित होता है. इस दिन हम उन महिलाओं को भी याद करते हैं जिन्होंने अपने जीवन का योगदान देश-दुनिया की भलाई के लिए किया. साहित्य, कला, खेल और राजनीति समेत कई क्षेत्र हैं जिनकी मदद से मानवता के उद्धार के लिए काम किया. मध्य प्रदेश के इतिहास में ऐसा कई रानियां हुईं, जिन्होंने अपना तन-मन-धन सबकुछ देश के समर्पित कर दिया.

रानी दुर्गावती- मध्यकाल में देश की सबसे प्रभावशील रानियों में से एक थीं. जिन्होंने अकबर के खिलाफ लड़ाई लड़ी. मध्य प्रदेश के महाकौशल, बुंदेलखंड और नर्मदा नदी के दोनों किनारों तक राज्य फैला था. गोंड राजवंश की सर्वश्रेष्ठ शासकों में से एक थीं. उनके समय में राज्य में 52 गढ़ थे. ऐसा कहा जाता है कि उनके राज्य में सभी प्रकार के सुख मिले थे. वीर शासिका को आज भी देश याद रखता है, उनके साहस और मातृभूमि से प्रेम के लिए. मदन महल, सिंघौरगढ़, मंडला फोर्ट जैसे शानदार किले और महल रहे हैं.

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रानी अवंती बाई- रामगढ़ की रानी को अपने पराक्रम और शौर्य के लिए जाना जाता हैं. प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में शहीद होने वाली प्रथम वीरांगना थीं. 1858 में अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध लड़ा और वीरगति को प्राप्त हुईं.

देवी अहिल्या बाई- होलकर साम्राज्य की शासिका जिन्होंने देवी की उपाधि दी गई. उन्होंने बिना तलवार चलाए अपना शासन चलाया. उनके राज्य में हिंदू-मुस्लिम सौहार्द की मिसाल दी जाती थी. उन्होंने अपनी राजधानी महेश्वर में बनाई. उन्होंने देश के प्रमुख मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया, धर्मशालाएं बनवाई, घाटों का निर्माण करवाया. उन्हें पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई के नाम से जाना जाता है. केदारनाथ, बद्रीनाथ, काशी विश्वनाथ, पुष्कर, महाकालेश्वर मंदिर, त्र्यंबकेश्वर मंदिर जैसे कई मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया.

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रानी कमलापति- गिन्नौरगढ़ की रानी को अपने त्याग के लिए जाना जाता है. जब अफगान सरदार दोस्त मोहम्मद खान ने भोपाल पर आक्रमण किया तो उन्होंने अपने बेटे के नेतृत्व में सेना भेजी. इस युद्ध में बेटा शहीद हो गया. इसे लालघाटी के युद्ध के नाम से जाना जाता है. इसके बाद दोस्त मोहम्मद खान ने कमलापति को अपनी रानी बनाना चाहा लेकिन उन्होंने छोटे तालाब में कूदकर जान दे दी. आज देश के पहले प्राइवेट रेलवे स्टेशन को रानी कमलापति के नाम से जाना जाता है.

रानी बैजाबाई- सिंधिया राजवंश की रानी थीं. बुद्धिमान और युद्ध में निपुण थीं. बैजाबाई की शादी सिंधिया राजवंश के प्रतापी राजा दौलतराव सिंधिया के साथ हुआ था. उन्होंने 43 साल की उम्र में शासन की बागडोर संभाली. तीसरे आंग्ल-मराठा युद्ध में पुरुष योद्धाओं के साथ कंधे से कंधे मिलाकर युद्ध लड़ा. ग्वालियर, काशी, पुष्कर समेत कई स्थानों पर निर्माण कार्य भी करवाए.

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